दिग्विजय ने गोवा मामले में कांग्रेसी नेताओं को दोषी ठहराया

[email protected] । Mar 17 2017 4:10PM

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि चुनाव से पहले गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन का उनका प्रस्ताव उनकी ही पार्टी के नेताओं ने ही ‘नकार’ दिया था।

पणजी। गोवा चुनावों पर आलोचना का सामना कर रहे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि चुनाव से पहले गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन का उनका प्रस्ताव उनकी ही पार्टी के नेताओं ने ही ‘नकार’ दिया था। दिग्विजय गोवा में पार्टी के प्रभारी हैं। उन्होंने कहा कि गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन हो जाता तो कांग्रेस को राज्य में बहुमत मिलता और अब इस मामले में उन्हें ‘खलनायक’ बनाना ठीक नहीं है।

सिंह ने सोशल मीडिया ट्विटर में सिलसिलेवार ट्वीट करके बताया, ‘‘रणनीति के तहत मैंने बाबुश मोनसराटेट की अगुवाई वाली क्षेत्रीय पार्टी और विजय सरदेसाई की गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ एक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का प्रस्ताव दिया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाबुश के साथ हमारा गठबंधन हो गया और हमने पांच में से तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन को हमारे ही नेताओं ने नकार दिया। दुखद..।’’

उल्लेखनीय है कि पणजी विधानसभा में कांग्रेस ने एंटासियो (बाबुश) मोनसराटेट की यूनाइटेड गोवा पार्टी के साथ गठबंधन किया था और उनके चार समर्थकों को पार्टी का टिकट दिया था। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘गोवा फारवर्ड को चार में से तीन सीटों पर जीत मिली। अगर हमने गोवा फारवर्ड के साथ गठबंधन किया होता, तो हमारे पास 22 सीटें होतीं।’’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'फिर भी दिग्विजय दोषी हैं? मैं इसका निर्णय आप पर छोड़ता हूं।’’

दिग्विजय ने कहा कि गोवा में विधायक दल के नेता के चुनाव में देरी के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाया जा रहा है, लेकिन भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अभी भी अपने नेता का चुनाव नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पर नेता के चयन में देरी का आरोप लग रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अभी भी भाजपा का नेता चुना जाना बाकी है, जबकि चुनाव के परिणाम 11 की शाम तक आ गये थे।’’ उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्रेस के विधायक दल के नेता पर 13 मार्च को निर्णय ले लिया गया था जबकि मणिपुर और गोवा में 12 मार्च को ही नेता चुन लिया गया था। सिंह ने अपना बचाव करते हुये कहा, ‘‘मणिपुर में वर्तमान मुख्यमंत्री थे, जबकि गोवा में चार पूर्व मुख्यमंत्री विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए, लेकिन हमने 12 तारीख को ही विधायक दल का नेता चुन लिया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने नेता का चुनाव करने के बाद राज्यपाल के पास पत्र भेजा गया था, लेकिन राज्यपाल इससे पहले ही निर्णय ले चुके थे।’’ सिंह ने कहा कि जब वह गोवा के लिए पार्टी के प्रभारी बने, तब संगठन में एक तरह की ‘अव्यवस्था’ थी। उन्होंने बताया, ‘‘जब मैंने और चेल्ला कुमार (कांग्रेस के सचिव) ने 2013 में गोवा का प्रभार संभाला, तब कांग्रेस के नौ विधायकों में से केवल छह विधायक ही सक्रिय थे और पूरे संगठन में एक ‘अव्यवस्था’ थी।

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘यहां तक की कांग्रेस के नेता गोवा चुनाव में 2 से 4 सीटें मिलने का अनुमान लगा रहे थे।’’ सिंह ने कहा कि मौजूदा स्थिति में उन्हें ‘खलनायक’ बनाना ठीक नहीं है। सिंह ने किसी का नाम लिये बगैर कहा, ‘‘हिन्दी टीवी के एक पत्रकार, गोवा में जिनका एक फ्लैट भी है और जो 2012 के चुनाव से कांग्रेस में सक्रिय हैं, ने गोवा में आम आदमी पार्टी के पूरे सफाये का अनुमान जताया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘और जनवरी 2017 में वह भी बहुत पीछे रह गयी। आम आदमी पार्टी शून्य पर पहुंच गयी, भाजपा भी कम होकर 22 से 13 पर आ गयी और इसके बावजूद भी दिग्विजय खलनायक है। यह ठीक नहीं।’’ गोवा विधानसभा चुनाव में 40 में से 17 सीटें जीतने वाली कांग्रेस सरकार बनाने में असफल रही।

We're now on WhatsApp. Click to join.

Tags

    All the updates here:

    अन्य न्यूज़