अपने गढ़ मालदा में जिला परिषद हारी कांग्रेस
कांग्रेस को अपने गढ़ मालदा में उस समय तगड़ा झटका लगा जब कांग्रेस और वामदलों के 14 सदस्यों ने आज तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया।
कोलकाता। कांग्रेस को अपने गढ़ मालदा में उस समय तगड़ा झटका लगा जब कांग्रेस और वामदलों के 14 सदस्यों ने आज तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया जिससे पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी ने मालदा के जिला परिषद पर कब्जा कर लिया। आज का घटनाक्रम बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि करीब तीन महीने पहले हुए पिछले विधानसभा चुनावों में मालदा में तृणमूल कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। इस दलबदल पर वामदलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और तृणमूल कांग्रेस पर राज्य में एकदलीय शासन स्थापित करने और भारतीय लोकतंत्र एवं संविधान के मूल सिद्धांतों को खत्म करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
राज्य के परिवहन मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के मालदा जिला प्रभारी सुवेंदू अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा कि 38 सदस्यीय मालदा जिला परिषद में, जिला परिषद सभाधिपति सरला मुरमू सहित वामदलों के आठ और कांग्रेस के छह सदस्य तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए जबकि समाजवादी पार्टी के दो सदस्यों ने समर्थन दिया। तृणमूल कांग्रेस के वर्तमान जिला परिषद में छह सदस्य हैं। विधानसभा चुनावों में माकपा टिकट पर जीतने वाली और जिला परिषद सदस्य दीपाली बिस्वास पिछले महीने तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुई थीं। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने वालों ने पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस और वामदलों के बीच ‘‘अनैतिक गठबंधन’’ का समर्थन नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा किये गये विकास कार्यों से भी प्रेरित हैं।’’ इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए विपक्ष के नेता और राज्य कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस राज्य में एकदलीय शासन स्थापित करने का प्रयास कर रही है और इसलिए वे लगातार विपक्षी विधायकों, पाषर्दों और निर्वाचित सदस्यों का शिकार कर रहे हैं।’’ माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस हमारे देश के लोकतंत्र एवं संविधान के मूल सिद्धांतों को खत्म करने का प्रयास कर रही है।
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