पर्रिकर के शपथ ग्रहण पर रोक नहीं, बहुमत परीक्षण 16 को

[email protected] । Mar 14 2017 4:36PM

गोवा में सरकार बनाने के कांग्रेस के प्रयासों को आज तब बड़ा झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने राज्य में मनोहर पर्रिकर के आज शाम होने वाले शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।

उच्चतम न्यायालय ने गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा नेता मनोहर पर्रिकर के शपथ ग्रहण पर आज रोक लगाने से इनकार कर दिया और 16 मार्च को सदन में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि 16 मार्च को पूर्वाह्न 11 बजे विधानसभा का सत्र बुलाया जाए। इसने यह स्पष्ट किया कि सदस्यों की शपथ के बाद उस दिन सदन का एकमात्र कामकाज शक्ति परीक्षण कराना होगा।

पीठ में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल भी शामिल थे। इसने निर्देश दिया कि चुनाव आयोग से संबंधित औपचारिकताओं सहित शक्ति परीक्षण कराने के लिए सभी जरूरी चीजें बुधवार तक पूरी हो जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कांग्रेस की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें उठाए गए सभी मुद्दों का समाधान शक्ति परीक्षण कराने के सामान्य निर्देश से हो सकता है। कांग्रेस ने पर्रिकर को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने के राज्यपाल मृदुला सिन्हा के फैसले को चुनौती दी थी।

पीठ ने राज्यपाल से शक्ति परीक्षण के लिए सदन बुलाने का आग्रह भी किया। इसने कहा कि कांग्रेस दो क्षेत्रीय दलों- महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के किसी भी निर्वाचित विधायक या किसी निर्दलीय विधायक के समर्थन का संकेत देने वाला हलफनामा लाने में विफल रही है। इसने उस पत्र का भी संज्ञान लिया जिसमें एमजीपी के तीन, जीएफपी के तीन और दो निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने की बात कही है। इससे 40 सदस्यीय सदन में भाजपा के पाले में सदस्यों की संख्या 21 हो जाती है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘आपके (कांग्रेस) पास संख्या नहीं है और इसीलिए आपने राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा नहीं किया। आपने राज्यपाल के समक्ष यह नहीं दर्शाया कि संख्या आपके पक्ष में है।’’ न्यायालय ने कांग्रेस से कहा कि पार्टी को न्यायालय के समक्ष तर्क रखने की जगह राज्यपाल के समक्ष ऐसा करना चाहिए था। पीठ ने यह भी कहा कि कांग्रेस नेता की दलीलें उचित नहीं हैं क्योंकि उन्होंने सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए गए मनोहर पर्रिकर को आवश्यक पक्ष नहीं बनाया है। इसने कहा, ‘‘आप (कांग्रेस) उनका (पर्रिकर) नाम जानते हैं। वह देश के रक्षा मंत्री रहे हैं। आपने यहां तक कि मुख्यमंत्री को पक्ष नहीं बनाया है। आपके पास सदस्यों के हलफनामे नहीं हैं जो आपका समर्थन कर रहे हों। इसलिए मामला संवेदनशील है और आप कुछ नहीं करते।’’

पीठ ने गोवा कांग्रेस विधायक दल के नेता चंद्रकांत कावलेकर के आवेदन को अस्वीकार कर दिया। उनके वकील अभिषेक सिंघवी मुख्यमंत्री के रूप में पर्रिकर के शपथ लेने से पहले समग्र शक्ति परीक्षण चाहते थे। कांग्रेस विधायक दल के नेता ने सोमवार को याचिका दायर की थी और यह प्रधान न्यायाधीश के आवास पर उल्लिखित की गई थी जो आज इस पर तात्कालिक सुनवाई के लिए सहमत हो गए थे। इसके लिए एक विशेष पीठ गठित की गई क्योंकि शीर्ष अदालत में एक हफ्ते की होली की छुट्टी है। याचिका में पर्रिकर के शपथ ग्रहण पर स्थगन लगाने के आग्रह के साथ ही मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा नेता की नियुक्ति के राज्यपाल के फैसले को निरस्त करने का आग्रह किया गया था।

अधिवक्ता देवदत्त कामत द्वारा दायर की गई याचिका में केंद्र और गोवा को पक्ष बनाया गया। गोवा कांग्रेस विधायक दल के नेता ने तर्क दिया कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और संवैधानिक परंपरा के तहत राज्यपाल सरकार गठन के लिए सबसे बड़े दल को आमंत्रित करने तथा उसे शक्ति परीक्षण का मौका देने को बाध्य थे। याचिका में कहा गया कि राज्यपाल का फैसला पूरी तरह से असंवैधानिक और अवैध है। यह मनमाने ढंग से की गई कार्रवाई तथा संविधान की मौलिक विशिष्टताओं का उल्लंघन है। इसमें तर्क दिया गया कि राज्यपाल ने 12 मार्च को जल्दबाजी में फैसला किया। अधिवक्ता ने आगे कहा कि राज्यपाल ने भाजपा नीत गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर गलती की क्योंकि वहां कोई चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था। चालीस सदस्यीय सदन में कांग्रेस के 17, भाजपा के 13, एमजीपी के तीन, जीएफपी के तीन, एनसीपी का एक और तीन निर्दलीय विधायक हैं। पर्रिकर ने 12 मार्च को राज्यपाल के समक्ष इस बात का सबूत पेश किया था कि उनके पास भाजपा के 13, एमजीपी के तीन, जीएफपी के तीन और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। इस तरह उनके पास 40 सदस्यीय विधानसभा में 21 विधायकों का समर्थन है।

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