स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा को लेकर दिल्ली में डॉक्टरों का प्रदर्शन

Doctors protest in Delhi over violence against healthcare professionals

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआर्एमए) के डॉक्टरों के समूह ने दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मुख्य गेट पर तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया और अपनी मांग के समर्थन में नारे लगाये।

नयी दिल्ली। देश के कुछ हिस्सों में स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा की हालिया घटनाओं के मद्देनजर आईएमए की ओर से आहुत राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत दिल्ली में शुक्रवार को डॉक्टरों के एक समूह ने प्रदर्शन किया और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून की मांग की। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआर्एमए) के डॉक्टरों के समूह ने दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मुख्य गेट पर तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया और अपनी मांग के समर्थन में नारे लगाये।

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एफएआईएमए के संस्थापक डॉ मनीष जांगरा ने पत्रकारों को बताया कि एम्स आरडीए (रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन) इस प्रदर्शन का हिस्सा नहीं है लेकिन आईएमए और एफएआईएमए इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं और ‘‘हमलोग दोपहर करीब एक एक बजे राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) दिल्ली के छात्रावास के पास भी प्रदर्शन करेंगे।’’ एफएआईएमए ‘‘हाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं’’ पर अपना कड़ा विरोध जताता है। आईएमए ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है। आईएमए ने कहा कि संघ से जुड़े करीब 3.5 लाख डॉक्टर इसमें हिस्सा लेंगे। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जे ए जयालाल ने कहा था कि इसके सदस्यों के अलावा प्रदर्शन में एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया, एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया, मेडिकल स्टूडेंट्स नेटवर्क और जूनियर डॉक्टर नेटवर्क जैसे संगठन भी हिस्सा लेंगे। आईएमए ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा था कि डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरूद्ध केंद्रीय की कानून की मांग के समर्थन में बिहार और मध्य केरल के डॉक्टर सुबह अपने क्लिनिक बंद रखेंगे।

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स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और क्लिनिकल प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान निषेध) विधेयक, 2019 के तहत ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला के लिए 10 साल की जेल की सजा के प्रावधान की मांग की गयी है जिसका गृह मंत्रालय ने यह कहकर विरोध जताया है कि यह विशेष कानून संभव नहीं है क्योंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है। उन्होंने कहा, ‘‘पीसीपीएनडीटी कानून और क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट जैसे कई केंद्रीय स्वास्थ्य कानून हैं। वर्तमान में 21 राज्यों में स्थानीय कानून हैं लेकिन हम हिंसा से डॉक्टरों की रक्षा के लिए मजबूत केंद्रीय कानून की मांग कर रहे हैं।’’ असम के होजल में एक जून को उदाली मॉडल अस्पताल में कोविड-19 और निमोनिया से ग्रस्त एक मरीज की मौत के बाद उसके तीमारदारों ने अस्पताल पर हमला किया था। बाद में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेते हुए असम सरकार और राज्य पुलिस के प्रमुख को कथित हमले के संबंध में जांच का निर्देश दिया था और मामले में ‘‘जरूरी, दंडात्मक कार्रवाई’’ करने को कहा था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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