भारत की ‘लीगो’ परियोजना से ब्रह्मांड के गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने में मिलेगी मदद : Experts

detect gravitational waves
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में 2,600 करोड़ रुपये की लागत से लीगो-इंडिया परियोजना के निर्माण को मंजूरी दी है। इस परियोजना के तहत किए जाने वाले वैज्ञानिक प्रयोग इस दशक के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है।

लीगो-इंडिया नामक भारत की लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी (लीगो) परियोजना न केवल ब्रह्मांड की गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने में वैज्ञानिकों की उल्लेखनीय रूप से मदद करेगीबल्कि इसकी मदद से ब्रह्मांड से जुड़े कई मूलभूत सवालों के जवाब भी मिल सकेंगे। विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में 2,600 करोड़ रुपये की लागत से लीगो-इंडिया परियोजना के निर्माण को मंजूरी दी है। इस परियोजना के तहत किए जाने वाले वैज्ञानिक प्रयोग इस दशक के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है।

विशेषज्ञों का कहना है कि लीगो-इंडिया प्रयोगशाला,अमेरिका के दो अन्य ‘लीगो डिटेक्टर’ और दुनिया के अन्य गुरुत्वाकर्षण तरंगों के डिटेक्टर की तुलना में विशेष है, जिसकी मदद से गुरुत्वाकर्षण तरंगों का सटीक अवलोकन और पहचान की जा सकेगी। लीगो डिटेक्टरों और गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अन्य डिटेक्टरों का उद्देश्य गुरुत्वाकर्षण तरंगों के स्रोत का पता लगाना है। लीगो-इंडिया भारत वैज्ञानिक सहयोग के सदस्य के जी अरुण ने कहा, ‘‘ परियोजना सटीक स्थानीयकरण से विद्युत चुम्बकीय दूरबीनों को स्थापित करने और संभावित विद्युत चुम्बकीय तरंगों की खोज करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ’’

तमिलनाडु के चेन्नई गणितीय संस्थान में भौतिकी के प्रोफेसर अरुण ने कहा, ‘‘ गुरुत्वाकर्षण तरंगों के स्रोत का पता लगाने का यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब हमारे पास डिटेक्टर का भौगोलिक रूप अलग वैश्विक नेटवर्क हो और इसके लिए लीगो-इंडिया अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। ’’ इस प्रयोगशाला से खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में उल्लेखनीय प्रगति के साथ-साथ भारतीय अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय निहितार्थ वाले क्षेत्रों में आगे बढ़ने की उम्मीद है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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