लोगों को संवैधानिक प्रावधानों के बारे में सरल शब्दों में समझाएं: प्रधान न्यायाधीश रमण

NV Ramana
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प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने कहा कि युवाओं की यह पीढ़ी दुनिया को क्रांति की ओर ले जा रही है। चाहे जलवायु संकट हो या मानवाधिकारों का उल्लंघन वे दुनिया भर में एक एकजुट ताकत हैं। वास्तव में तकनीकी क्रांति ने हम में से प्रत्येक को वैश्विक नागरिक बना दिया है।

रायपुर। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने रविवार को कहा कि कोई संवैधानिक गणतंत्र तभी आगे बढ़ सकता है, जब उसके नागरिक इस बात से अवगत हों कि उनके संविधान में क्या परिकल्पना की गई है। न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को उसके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। कानून की पढ़ाई करने वाले स्नातकों का प्रयास होना चाहिए कि वे लोगों को संवैधानिक प्रावधानों को सरल शब्दों में समझाएं। उन्होंने हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचएनएलयू), रायपुर के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कानून को सामाजिक परिवर्तन का एक साधन बताया और कहा कि विधि स्कूली शिक्षा को स्नातकों को सामाजिक इंजीनियरों में बदलना चाहिए।

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प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि युवाओं की यह पीढ़ी दुनिया को क्रांति की ओर ले जा रही है। चाहे जलवायु संकट हो या मानवाधिकारों का उल्लंघन वे दुनिया भर में एक एकजुट ताकत हैं। वास्तव में, तकनीकी क्रांति ने हम में से प्रत्येक को वैश्विक नागरिक बना दिया है। यह हम सभी के लिए क्रांति में शामिल होने का समय है।

उन्होंने कानून और संविधान के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने में युवाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, दुखद वास्तविकता यह है कि आधुनिक स्वतंत्र भारत की आकांक्षाओं को परिभाषित करने वाला सर्वोच्च दस्तावेज़ कानून के छात्रों, वकीलों और भारतीय आबादी के एक बहुत छोटे हिस्से के ज्ञान तक ही सीमित है। न्यायमूर्ति रमण ने कहा, एक संवैधानिक गणतंत्र तभी आगे बढ़ेगा, जब उसके नागरिक इस बात से अवगत होंगे कि उनके संविधान में क्या परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि युवा अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के माध्यम से वकालत के पेशे में नए मुकाम हासिल कर रहे हैं।

इस बीच, मुख्य न्यायाधीश ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने सुना है कि उनकी सरकार राज्य में न्यायिक समुदाय की ढांचागत और बजटीय जरूरतों का पर्याप्त ध्यान रख रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी और छत्तीसगढ़ न्यायपालिका को सर्वोत्तम बुनियादी ढांचा प्रदान करने के मामले में एक आदर्श के रूप में उभरेगा। राज्य के मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आये थे।

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उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एस अब्दुल नज़ीर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी भी उपस्थित थे। एचएनएलयू के जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार, बी.ए. एल.एल.बी (ऑनर्स) (2015-2020 का बैच) से 60 छात्र, बी.ए. एल.एल.बी (ऑनर्स) (2016-2021) से 147, एल.एल.एम (2019-2020) से 49 और एल.एल.एम (2020-2021) से 61 छात्रों समेत पीएचडी के चार छात्रों को डिग्री प्रदान की गयी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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