Kisan Mahapanchayat के लिए रामलीला मैदान में जुटे हजारों किसान, कृषि मंत्री से हुई मलाकात, एसकेएम ने कहा- मांगें पूरी नहीं हुईं तो...
किसानों को आश्वासन देकर उनका आंदोलन खत्म कराया गया था। इन सब के बीच किसान संगठनों का दावा है कि जो उनसे वादे किए गए थे, उसे पूरा नहीं किया गया है। यही कारण है कि अब वह एक बार फिर से सरकार पर दबाव बनाने के लिए मजबूर हुए हैं।
किसान आंदोलन को एक बार फिर से हवा देने की कोशिश हो रही है। अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में हजारों किसान जुट गए हैं। रामलीला मैदान में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है। किसान महापंचायत सरकार से वादों को पूरा करने की मांग कर रहा है। किसानों का अनुरोध है कि जो लिखित वादे उनसे किए गए थे, उनको पूरा किया जाए। आपको बता दें कि जब केंद्र सरकार 3 कृषि कानून लेकर आई थी, तब किसानों का आंदोलन हुआ था। आंदोलन काफी लंबा चला था। बाद में कृषि कानूनों को वापस लिया गया। किसानों को आश्वासन देकर उनका आंदोलन खत्म कराया गया था। इन सब के बीच किसान संगठनों का दावा है कि जो उनसे वादे किए गए थे, उसे पूरा नहीं किया गया है। यही कारण है कि अब वह एक बार फिर से सरकार पर दबाव बनाने के लिए मजबूर हुए हैं।
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आज संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ मुलाकात भी हुई है। मुलाकात के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के एक सदस्य दर्शन पाल ने कहा कि अगर एमएसपी कर्जमाफी और पेंशन को लेकर जो उनकी मांगे हैं उसे पूरा नहीं किया जाता है तो एक बार फिर से आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से नरेंद्र सिंह तोमर को एक मांग पत्र भी सौंपा गया है। इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि हम 30 अप्रैल को दिल्ली में एक और बड़ी बैठक बुलाएंगे। उन्होंने कहा, हम रोजाना आंदोलन नहीं करना चाहते, लेकिन हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं। अगर सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो हम एक और आंदोलन शुरू करेंगे, जो कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन से बड़ा होगा।
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आपको बता दें कि किसानों की मांगों में एमएसपी के लिए एक कानून, पूर्ण ऋण माफी, पेंशन, फसल बीमा, किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना और निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाना शामिल है। एक किसान नेता ने कहा कि लिखित आश्वासन के बावजूद केंद्र सरकार किसानों की मांगों को पूरा करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि किसानों के खिलाफ हजारों मामले लंबित हैं। आंदोलन के दौरान 750 से अधिक किसानों की जान चली गई और उनके परिवारों को मुआवजा नहीं मिला है। इसके अलावा, कई अन्य मांगें हैं जो पूरी नहीं हुई हैं।
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