विदेशी चंदा: भाजपा और कांग्रेस ने अपील ली वापस

भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने विदेशी चंदा मामले में पहली नजर में कानून के उल्लंघन का दोषी ठहराने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी अपील आज वापस ले लीं। न्यायमूर्ति जेए खेहड, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की तीन सदस्यीय खंडपीठ को इन राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों ने सूचित किया कि विदेशी चंदा विनियमन कानून, में 2010 में किये गये संशोधन के मद्देनजर कानून का उल्लंघन करके कथित रूप से विदेशी धन स्वीकार करने पर उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
भाजपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी याचिकायें वापस लेने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘याचिकायें वापस ली गयी हैं, इसलिए इन्हें खारिज किया जाता है।’’ दीवान ने कहा कि कानून में 2010 में हुये संशोधन के अनुसार एक राजनीतिक दल को मिला चंदा विदेशी योगदान नहीं है यदि उस फर्म में एक भारतीय के 50 फीसदी या इससे अधिक शेयर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विदेश में पंजीकृत कंपनी की भारतीय सहायक कंपनी चंदा दे सकती है और संशोधित कानून के मद्देनजर ऐसे चंदे को विदेशी चंदा नहीं माना जा सकता है। इससे पहले, 22 नवंबर को कांग्रेस ने इस कानून में इस साल लाये गये संशोधन के उनके मामले पर प्रभाव के बारे में स्थिति साफ करने के लिये शीर्ष अदालत से समय मांगा था। कांग्रेस ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी। कांग्रेस ने न्यायालय में कहा था कि इस साल फरवरी में पेश किये गये संशोधन पिछली तारीख से प्रभावी हैं और ऐसी स्थिति में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उनकी अपील निर्थक हो गयी है। 2010 के कानून में लाये गये संशोधन का उद्देश्य कारपोरेट सामाजिक दायित्व के नाम पर विदेशी कंपनियों से चंदे का प्रवाह सरल बनाना है।
उच्च न्यायालय ने 28 मार्च, 2014 को अपने फैसले में कहा था कि ब्रिटेन स्थित वेदांता रिसोर्सेज की सहायक दो कंपनियों से राजनीतिक दलों ने चंदा स्वीकार करके संबंधित कानून का उल्लंघन किया था। उच्च न्यायालय ने केन्द्र और निर्वाचन आयोग को इन दलों के खिलाफ छह महीने के भीतर उचित कार्रवाई का निर्देश दिया था। कांग्रेस ने इस फैसले को चुनौती देते हुये कहा था कि कानून की व्याख्या करने में उसने गलती की है और इस तरह से प्राप्त चंदे की जानकारी को छिपाया नहीं गया था। यह जानकारी निर्वाचन आयोग में पेश रिटर्न में भी है। कांग्रेस का यह भी कहना था कि वेदांता के मालिक भारतीय नागरिक अनिल अग्रवाल हैं और उनकी दो सहायक कंपनियां भारत में पंजीकृत है। इसलिए वे विदेशी स्रोत नहीं हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि वेदांता कंपनी कानून के अनुसार विदेशी कंपनी है और इसलिए अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली फर्म और उसकी सहायक स्टरलाइट तथा सेसा विदेशी चंदा विनियमन कानून के अनुसार विदेशी स्रोत हैं। न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और भारत सरकार के पूर्व सचिव ईएएस सरमा की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इन दोनों राजनीतिक दलों ने सरकारी कंपनियों और विदेशी स्रोतों से चंदा प्राप्त करके जनप्रतिनिधित्व कानून तथा विदेशी चंदा विनियम कानून का उल्लंघन किया है।
अन्य न्यूज़