पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर ने संभाला नए विदेश मंत्री का कार्यभार

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[email protected] । May 31 2019 8:53PM

इससे पहले के नटवर सिंह भी राजनयिक थे और वह 22 मई 2004 से छह नवंबर 2005 के बीच भारत के विदेश मंत्री रहे। उन्होंने 1980 के दशक में राजनीति में शामिल होने के लिए भारतीय विदेश सेवा छोड़ दी थी।

नयी दिल्ली। विदेश सचिव पद से अवकाशग्रहण करने के करीब 16 महीने बाद एस जयशंकर शुक्रवार को एक बार फिर विदेश मंत्रालय के कार्यालय में थे। हालांकि इस बार वह विदेश मंत्री के रूप में वहां आए थे। उनके पूर्व सहयोगी विजय गोखले ने 64 वर्षीय अनुभवी राजनयिक का मंत्रालय के मुख्यालय में स्वागत किया। गोखले पिछले साल जनवरी में जयशंकर के बाद विदेश सचिव नियुक्त किए गए थे। जयशंकर को विदेश मंत्री बनाए जाने को आक्रामक कूटनीति के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता के प्रतिबिंब के तौर पर पर देखा जाता है ताकि भारत का वैश्विक कद बढ़ाया जा सके। जयशंकर देश के पहले विदेश सचिव हैं जो विदेश मंत्री बने हैं।

इससे पहले के नटवर सिंह भी राजनयिक थे और वह 22 मई 2004 से छह नवंबर 2005 के बीच भारत के विदेश मंत्री रहे। उन्होंने 1980 के दशक में राजनीति में शामिल होने के लिए भारतीय विदेश सेवा छोड़ दी थी। जयशंकर को चीन एवं अमेरिका मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। नये विदेश मंत्री के रूप में उन पर खास नजर होगी कि वह पाकिस्तान से निपटने में भारत के रुख को किस प्रकार आगे बढ़ाते हैं। जब प्रधानमंत्री मोदी ने सितंबर 2014 में अमेरिका का दौरा किया था और न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में अपना प्रसिद्ध भाषण दिया था, उस समय जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत थे। विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर के सामने जी-20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स जैसे विभिन्न वैश्विक मंचों पर भारत के वैश्विक प्रभाव और कद को बढ़ाने की उम्मीदों को पूरा करने की जिम्मेदारी भी रहेगी। 

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हालांकि, उनके नेतृत्व में मंत्रालय का जोर अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और यूरोपीय संघ तथा पड़ोसी देशों के साथ भारत के व्यापार एवं रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने पर रहेगा। जयशंकर के समक्ष एक अन्य चुनौती चीन के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत बनाने की होगी । दोनों देशों के संबंध 2017 के मध्य में डोकलाम विवाद के बाद प्रभावित हुए। 64 वर्षीय जयशंकर अभी संसद के दोनों सदनों में किसी के सदस्य नहीं हैं। 

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