वैश्विक शांति को बाधित कर रही कट्टरता, केवल भारत के पास है समाधान: भागवत
भागवत ने कहा कि कल हम सारे समाज को स्नेह पाश में बांधेंगे और समस्त देश में व्याप्त होंगे लेकिन इसके लिए हमें पूर्ण समर्पण, सदाचरण और समस्त विश्व के कल्याण की भावना से काम करना होगा।
रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि कट्टरता और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं दुनिया भर में शांति को बाधित कर रही हैं और इनका समाधान केवल भारत के पास है क्योंकि उसके पास समग्र रूप से सोचने और इस समस्याओं से निपटने का अनुभव है। भागवत ने कहा, ‘‘दुनिया भारत का इंतजार कर रही है, इसलिए भारत को एक महान राष्ट्र बनना होगा।’’ उन्होंने यहां आरएसएस द्वारा आयोजित ‘मेट्रोपोलिटन मीटिंग’ में अपने संबोधन मेंकहा कि जब भी भारत मुख्य भूमिका निभाता है, दुनिया को लाभ होता है।
#WATCH Ranchi: RSS chief recounts his conversation with an RSS worker in UK where he said "...'nationalism' shabd ka upyog mat kijiye. Nation kahenge chalega,national kahenge chalega,nationality kahenge chalgea,nationalism mat kaho. Nationalism ka matlab hota hai Hitler,naziwaad. pic.twitter.com/qvibUE7mYt
— ANI (@ANI) February 20, 2020
भागवत ने कहा, ‘‘कट्टरता, पर्यावरण की समस्याएं और खुद को सही एवं शेष सभी को गलत मानने की सोच विश्व में शांति को बाधित कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि केवल भारत के पास इन समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए समग्र रूप से सोचने का अनुभव है। उन्होंने अपने एक UK दौरे का हवाला देते हुए कहा कि जब वह वहां के एक आरएसएस के कार्यकर्ता से बातचीत कर रहे थे तो उन्हें पता चला राष्ट्रवाद शब्द बोलने में अच्छा लगता है पर यह हिटलर शाही को दर्शाता है। उन्होंने साफ कहा कि आप नेशन शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं, नेशनलिटी कह सकते हैं, पर नेशनलिज्म से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद में नाजी और हिटलर की झलक दिखाई पड़ती है। अपने कार्यकर्ताओं से राष्ट्रवाद जैसे शब्द का इस्तेमाल करने से बचने का सलाह देते हुए कहा कि हमें हिटलर या नाजी जैसे लोगों के विचारों से बचना चाहिए। हमें राष्ट्र या राष्ट्रीय जैसे शब्दों के इस्तेमाल को महत्व देना चाहिए।
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भागवत ने आरएसएस सदस्यों से हर जाति, भाषा, धर्म एवं क्षेत्र के लोगों से जुड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत का चरित्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत के साथ एक धागे में सभी लोगों को बांधने का है।’’ भागवत ने एक किस्सा याद करते हुए कहा कि एक मुस्लिम बुद्धिजीवी भारत से हज गया था और उसे ‘लॉकेट’ पहनने के कारण ईशनिंदा के आरोपों में जेल भेज दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘तब तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हस्तक्षेप किया और उन्हें आठ दिनों में छुड़वाया।’’ उन्होंने कहा कि भारत से आने वाले हर व्यक्ति को हिंदू समझा जाता है। भागवत ने कहा, ‘‘भारतीय संस्कृति को हिंदू संस्कृति के तौर पर जाना जाता है जो अपने मूल्यों, आचरण एवं संस्कृति को दर्शाती है।’’ उन्होंने कहा कि हिंदुत्व विचारक के बी हेडगेवार स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सामाजिक सुधार समेत हर आंदोलन में शामिल हुए थे और उन्होंने आरएसएस का गठन किया ताकि (विदेशी शासन काल के) 1500 से अधिक साल से चल रहीं सामाजिक कुरीतियों को जड़ से उखाड़ फेंका जाए और निस्वार्थ भाव, भेदभाव नहीं करने एवं समानता जैसे स्थायी मूल्य स्थापित किए जाएं।
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भागवत ने कहा, ‘‘संघ पर देश को विश्व गुरु बनाने की बड़ी जिम्मेदारी है और इसके लिए हमें सबको साथ लेकर चलना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश को सिर्फ देने की बात करें क्योंकि देश ने भी सब कुछ हमें दिया है। बिना किसी स्वार्थ के हमें देश के लिए काम करना है।’’ भागवत ने कहा, ‘‘कल हम सारे समाज को स्नेह पाश में बांधेंगे और समस्त देश में व्याप्त होंगे लेकिन इसके लिए हमें पूर्ण समर्पण, सदाचरण और समस्त विश्व के कल्याण की भावना से काम करना होगा।’’
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