अगले महीने रिलीज होगी जॉर्ज फर्नांडिस की जीवनी

George Fernandes
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तीन जून, 1930 को तत्कालीन मैंगलोर (अब मंगलुरु) में एक ईसाई परिवार में जन्मे फर्नांडिस उस समय राष्ट्रीय सुर्खियों में आए जब मुंबई में एक मजदूर नेता के रूप में उन्होंने 1974 में एक रेलवे हड़ताल का आयोजन किया, जिससे देश ठहर गया था।

नयी दिल्ली| भारत के सबसे तेजतर्रार यूनियन नेताओं में से एक और पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के जीवन पर आधारित एक नयी पुस्तक मुंबई की सड़कों से लेकर दिल्ली में सत्ता के गलियारों तक उनकी यात्रा का ब्योरा देगी।

यह जानकारी पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) ने शनिवार को दी। राहुल रामागुंडम द्वारा लिखित ‘द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ जॉर्ज फर्नांडिस’ 25 जुलाई को पेंगुइन के प्रकाशक एलन लेन के माध्यम से प्रकाशित होगी। व्यापक रूप से आपातकाल-विरोधी नायक माने जाने वाले वयोवृद्ध समाजवादी नेता पर ‘‘पहली व्यापक जीवनी’’ की घोषणा, आपातकाल की 47 वीं वर्षगांठ का प्रतीक है।

तीन जून, 1930 को तत्कालीन मैंगलोर (अब मंगलुरु) में एक ईसाई परिवार में जन्मे फर्नांडिस उस समय राष्ट्रीय सुर्खियों में आए जब मुंबई में एक मजदूर नेता के रूप में उन्होंने 1974 में एक रेलवे हड़ताल का आयोजन किया, जिससे देश ठहर गया था।

वह 1989 में वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा गठबंधन सरकार के तहत रेल मंत्री बने। इस गठबंधन में ज्यादातर वामपंथी झुकाव वाले दल शामिल थे। फर्नांडिस का लंबी बीमारी के बाद जनवरी 2019 में 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

रामागुंडम ने कहा, ‘‘बारह लंबे वर्षों तक, मैंने केवल जॉर्ज के बारे में सोचा है, उनकी आत्मा को टटोला है,उनकी पसंद के बारे में जानने का प्रयास किया है और उनकी उतार-चढ़ाव की यात्रा में साथ रहा हूं।

राजनीति के लिए फर्नांडिस की दीवानगी की तरह ही मैंने भी इस जीवनी के लिए अपने परिवार, दोस्ती, नौकरी और खुशियों को दांव पर लगा दिया है।’’

रामागुंडम ने ‘‘गांधीज खादी’’ और‘‘ इंक्लूडिंग द सोशली एक्सक्लुडेड’’ पुस्तकें भी लिखी हैं। प्रकाशकों के अनुसार, यह जीवनवृत न केवल उन लोगों के लिए जरूरी है जो फर्नांडिस के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, बल्कि ‘‘उन लोगों के लिए भी, जो इतिहास के प्रति उत्सुक होते हैं और इस देश की दिशा बदलने वाली स्थितियों का लेखाजोखा जानना चाहते हैं।’’

पीआरएचआई की सहयोगी प्रकाशक प्रेमांका गोस्वामी ने कहा, ‘‘जॉर्ज फर्नांडिस के जीवन और राजनीति ने सभी लोगों को आकर्षित किया। मजदूर वर्ग के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने की उनकी प्रतिबद्धता, आपातकाल के दौरान उनकी भूमिकाऔर भारतीय राजनीति की शक्तिशाली कांग्रेस पार्टी को हराने के लिए उनका जुनून, इन बातों की इस पुस्तक में एक विशिष्ट अभिव्यक्ति मिलती है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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