फिल्मी अंदाज में हुई युवती की हत्या, बाद में निकली जीवित

MURDER
प्रतिरूप फोटो
प्रणव तिवारी । Jan 11 2022 1:31PM

मृत बेटी को जिंदा देख पिता जोर-जोर से रोने लगा,रो-रोकर पिता का हुआ बुरा हाल लेकिन बेटी को अपनाने से कर दिया मना।

गोरखपुर। 2001 में गोरखपुर में हुये शिखा दुबे हत्याकांड सहित हाल के दिनों में हुई कई घटनाओं के बारे में जानकर पूरा गोरखपुर स्तब्ध है।  जिससे लोगों में नाराजगी भी थी। जो लोग शिखा को मरा हुआ समझ रहे थे, वे अपने प्रेमी के साथ सोनभद्र में रहती थी। वहीं गोरखपुर के अंदर एक पिता ने दूसरी महिला के शव को अपनी बेटी समझ कर अंतिम संस्कार भी कर दिया था।  कुछ देर पहले जब वह अपने पिता के सामने आई तो उसके पिता राम प्रकाश दुबे ने उसे देखा और रोने लगा और उसके गाल को छूने लगा और विश्वास करने की कोशिश कर रहा था कि वह जीवित है।  लेकिन थोड़ी देर बाद, उसने अपना मोह छोड़ दिया और कहा "यह मेरी बेटी है, लेकिन वह मेरे लिए मर गई।"

 

यह पूरी घटना 11 जून 2011 की है।  गोरखपुर सिंघड़िया में एक युवती का शव मिला। उसकी पहचान इंजीनियरिंग कॉलेज के कमलेशपुरम कॉलोनी इलाके की लापता लड़की शिखा दुबे के रूप में हुई । उसके पिता को लाश की शिनाख्त के लिए बुलाया गया था, परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी आए और माना कि लाश शिखा की है।

शिखा हत्याकांड में शिखा के पिता राम प्रकाश दुबे ने पड़ोसी दीपू पर हत्या का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था।  पुलिस जब जांच करने पहुंची तो दीपू भी घर से गायब था। जांच के दौरान पुलिस को खबर मिली कि आरोपी दीपू सोनभद्र में है।  सोनभद्र पहुंचते ही पुलिस टीम के सामने एक चौंकाने वाला सच सामने आया।  दीपू ही नहीं शिखा भी मौजूद थीं। इसके बाद पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर गोरखपुर ले आई।  यहां आकर शिखा ने पुलिस को एक किस्सा सुनाया जिससे पुलिस भी हैरान रह गई। शिखा ने कहा कि उसे अपनी पड़ोसी दीपू यादव (26) से प्यार हो गया। ऐसे में दोनों ने घर छोड़ दिया और अपने घरवालों से पीछा छुड़ाने के लिए खतरनाक साजिश रची। दोनों ने काठी के आकार की एक महिला की हत्या करके शिखा की पहचान करने का फैसला किया।दीपू का दोस्त 35 वर्षीय सुग्रीव, जो परिवहन का व्यवसाय चला रहा था, भी साजिश में शामिल था।  उसे अक्सर सोनभद्र जिले जाना पड़ता था, जहाँ उसकी मुलाकात एक ऐसी लड़की से होती थी जिसका आकार काठी शिखा जैसा था।  उसका नाम पूजा (25) था।  पूजा तीन साल के बच्ची की मां थी।  दीपू और सुग्रीव उसे तीन हजार रुपये की नौकरी दिलाने के बहाने गोरखपुर ले आए।  सुग्रीव 10 जून की रात ट्रक से पूजा को कुडाघाट ले आया और दूसरी तरफ शिखा और दीपू घर से भागकर कुसम्ही जंगल पहुंच गए।

 

जंगल के अंदर ट्रक में बैठी पूजा ने वही कपड़े पहन रखे थे जो शिखा ने घर से भागते वक्त पहना था।  इतना ही नहीं, उनके गले में एक रस्सी थी जिसे शिखा हमेशा पहनती थी। बाद में पूजा को ट्रक से टक्कर देकर मार दिया गया था।  हत्या में ट्रक चालक बलराम भी कुछ रुपये के लिए शामिल था।  हत्या के बाद सभी ने पूजा के चेहरे पर धारदार हथियार से इस कदर प्रहार किया कि कोई उसे पहचान नहीं पाया।  इसके बाद शव को सिंघड़िया के पास फेंक दिया गया। पुलिस ने शिखा और दीपू को हत्या के आरोप में जेल भेज दिया।  बाद में दोनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया और जेल से छूटने के बाद उन्होंने शादी कर ली और एक अलग दुनिया में बस गए।  मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़