WFI के खिलाफ उतरे पहलवानों के बरताव पर सरकार ने जताई नाराजगी, निगरानी समिति के पुनर्गठन की संभावना नहीं

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भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ उतरे पहलवानों के बर्ताव से अब भारत सरकार नाखुश हो गई है। अब सरकार डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिये गठित निगरानी समिति का पुनर्गठन भी नहीं करेगी।

नयी दिल्ली। सरकार पहलवानों के व्यवहार से खुश नहीं है और वह डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिये गठित निगरानी समिति का पुनर्गठन भी नहीं करेगी। खेल मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को मुक्केबाज एमसी मेरीकॉम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय निगरानी समिति के गठन की घोषणा की।

यह समिति डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने के अलावा भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्लयूएफआई) के रोजमर्रा के काम को भी देखेगी। डब्ल्यूएफआई को हटाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर तीन दिन तक धरने पर बैठने वाले पहलवानों में शामिल बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, सरिता मोर और साक्षी मलिक ने समान ट्वीट पोस्ट करके अपनी नाराजगी जताई कि समिति गठित करने से पहले उन्हें मश्विरा नहीं लिया गया।

मंत्रालय के एक सूत्र ने बुधवार को कहा कि मंत्रालय की डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ आरोपों की जांच के लिये गठित निगरानी समिति के पुनर्गठित करने की कोई योजना नहीं है। सूत्र ने कहा कि हमने एमसी मैरीकॉम की अगुआई में एक निष्पक्ष समिति का गठन किया है जो मामले की जांच करेगी। सूत्र ने साथ ही कहा कि सरकार पहलवानों के व्यवहार से खुश नहीं है क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से समिति के गठन पर आपत्ति जतायी। सूत्रों के अनुसार विरोध कर रहे पहलवान लंदन ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर को डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष का करीबी मानते हैं। बल्कि जब योगेश्वर ने जब आलोचनाओं में घिरे महासंघ के अध्यक्ष का समर्थन किया तो विनेश ने कहा था कि वह ‘डब्ल्यूएफआई की गोद में बैठा है।

पहलवानों ने मंगलवार को ट्विटर पर निराशा व्यक्त की थी। हालांकि बुधवार को बजरंग ने स्पष्ट किया कि पहलवानों को योगेश्वर से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन समिति के सदस्यों के चुने जाने से पहले उन्हें उनसे मश्विरे की उम्मीद थी। बजरंग पूनिया ने कहा कि हम गणतंत्र दिवस समारोह के बाद खेल मंत्री से बात करना चाहेंगे। हमें समिति के किसी भी सदस्य से कोई परेशानी नहीं है लेकिन हमसे मश्विरा लिया जाना चाहिए था।

यह पूछने पर कि उनसे इनमें से किसी नाम की चर्चा नहीं हुई थी तो बजरंग ने कहा कि एक चर्चा हुई थी जिसमें ये नाम आये थे लेकिन चर्चा के बाद हमसे कहा गया था कि नाम आकर बतायें। उन्होंने कहा कि लेकिन हमारे सकारात्मक जवाब से पहले ही नामों की घोषणा कर दी गयी। सरकार को हमसे नाराज नहीं होना चाहिए। हमने क्या किया है, हम न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।

इन्हें किया गया है समिति में शामिल
योगेश्वर के अलावा पैनल के अन्य सदस्यों में पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी और मिशन ओलंपिक सेल की सदस्य तृप्ति मुरगुंडे, टॉप्स के पूर्व सीईओ राजगोपालन और भारतीय खेल प्राधिकरण (साईं) की पूर्व कार्यकारी निदेशक (टीम) राधिका श्रीमन शामिल हैं। मैरीकॉम और योगेश्वर भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) द्वारा डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ यौन उत्पीड़न और भ्रष्टाचार की जांच के लिये गठित सात सदस्यीय समिति का भी हिस्सा हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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