सरकार ने सीएसआर खर्च का दिया ब्योरा, बताया इससे किस पर पड़ेगा असर

सीएसआर यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यह एक कानून है, जिसके तहत कॉरपोरेट्स कंपनीज को सामाजिक काम करना पड़ता है ।
सीएसआर यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यह एक कानून है, जिसके तहत कॉरपोरेट्स कंपनीज को सामाजिक काम करना पड़ता है। यानी समाज के उत्थान में जो जरूरी हो, समाज के जरूरतमंद लोगों को आगे लाना,उन्हें बढ़ावा देने के लिए जरूरत की चीजें मुहैया करवाना आदि सीएसआर में शामिल हैं।
अगर हम बात करें कि CSR के दायरे में कौन कौन सी कंपनीज आती हैं तो इसके अंतर्गत हर कंपनी जो प्राइवेट लिमिटेड या पब्लिक लिमिटेड है जिन्होंने 500 करोड रुपए का शुद्ध मूल्य या 1000 करोड़ रुपए का टर्न ओवर या पांच करोड रुपए का शुद्ध लाभ का कारोबार किया है ,उन्हें तीन वित्तीय वर्षों के लिए अपने औसत शुद्ध लाभ का कम से कम दो पर्सेंट सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना जरूरी है। इन पैसों का सीधा लाभ जरूरतमंद समुदाय या समाज को होता है ।
सीएसआर को 2013 की धारा 135 के तहत अनिवार्य कर दिया गया है, फिर चाहे कंपनी प्राइवेट हो या सरकारी उसे सी CSR खर्च करना ही है ।प्राइवेट कंपनी इसमें इंफोसिस हो या विप्रो या रिलायंस CSR। हर कोई CSR करता है वही सरकारी कंपनी में पीएसयू यानी पब्लिक अंडरटेकिंग, भारत पैट्रोलियम, इंडियन ऑयल, एनटीपीसी जैसी सरकारी कंपनियां बड़े पैमाने पर सीएसआर करती हैं।
कंपनी अधिनियम की धारा 135 के अनुसार मैराथन पुरस्कार , धर्मार्थ योगदान ,विज्ञापन ,टीवी कार्यक्रमों के प्रयोजन जैसे कार्यक्रम सीएसआर खर्च में मान्य नहीं होंगे और किसी भी राजनैतिक दल को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से किसी भी राशि का योगदान सीएसआर में नहीं माना जाता है।
सरकारी योजनाओं को क्रियान्वित करने और फंड की कमी को पूरा करने में भी कंपनी सरकार के साथ मिलकर काम करती हैं । स्वच्छ भारत मिशन हो या फिर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इन योजनाओं को भी सीएसआर का बल मिला है। हाल ही मैं कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने प्रपत्र संख्या 10/ 2020 ,दिनांक 23 मार्च 2020 में यह स्पष्ट किया है कि कोविड-19 संबंधित गतिविधियों के लिए खर्च करना CSR के दायरे में मान्य होगा।
इतना ही नहीं बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि कोविड-19 के रोकथाम में स्वास्थ्य देखभाल के खर्च को भी सीएसआर माना जाएगा । अभी हाल ही में रेटिंग एजेंसी क्रिसिल द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में देश भर में सामाजिक कामों पर किया गया खर्च 3.62 फ़ीसदी के साथ 22 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
रिपोर्ट की माने तो वित्त वर्ष 2020 -21 में सीएसआर पर किए गए खर्च में 1700 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा 14,986 करोड़ रुपए के खर्च और गैर सूचीबद्ध इकाईयों द्वारा 7,072 करोड़ रुपए के खर्च शामिल हैं।
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