सिख विरोधी दंगा: HC ने वर्मा को सुरक्षा जारी रखने के लिए पुलिस को दिए निर्देश

Delhi High Court

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने बृहस्पतिवार को कहा कि इन परिस्थितियों में,सीबीआई जब तक दिल्ली पुलिस को यह सूचित नहीं करती है कि याचिकाकर्ता (वर्मा) की गवाह के रूप में जरूरत नहीं है तब तक उनकी सुरक्षा को बढ़ाया जाना चाहिए।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में गवाह और विवादास्पद शस्त्र विक्रेता अभिषेक वर्मा को सुरक्षा जारी रखने के निर्देश दिये हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक सीबीआई यह सूचित नहीं करती है कि उसे सुरक्षा प्रदान करने की और जरूरत नहीं है तब तक पुलिस वर्मा को सुरक्षा प्रदान करती रहे। सीबीआई द्वारा उच्च न्यायालय को सूचित किया गया था कि मामले की जांच अभी भी चल रही है और वे यह बयान देने की स्थिति में नहीं हैं कि वर्मा, जिन्हें धमकी मिल रही है, की गवाह के रूप में जरूरत है या नहीं। 

इसे भी पढ़ें: लालू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई टली, अब 11 दिसंबर को फैसला 

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने बृहस्पतिवार को कहा कि इन परिस्थितियों में,सीबीआई जब तक दिल्ली पुलिस को यह सूचित नहीं करती है कि याचिकाकर्ता (वर्मा) की गवाह के रूप में जरूरत नहीं है तब तक उनकी सुरक्षा को बढ़ाया जाना चाहिए। यह छूट 28 सितम्बर को उनके आदेश में उल्लेख किये गये कारण को देखते हुए दी गई है। अदालत के फैसले पर वर्मा और उनके परिवार को चौबीसों घंटे तीन सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराये गए हैं।

वर्मा का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता मनिंदर सिंह और दिनहर ताकिर ने कहा कि उन्हें कम से कम तब तक सुरक्षा प्रदान की जाए जब तक कि उनका बयान मामले में दर्ज नहीं हो जाता। वर्मा को सबसे पहले 2017 में सुरक्षा उपलब्ध कराई गई थी। यह मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किये जाने के एक दिन बाद एक नवम्बर, 1984 को उत्तरी दिल्ली में गुरुद्वारा पुलबंगश में हुए दंगों से जुड़ा है जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी। 

इसे भी पढ़ें: SC ने बढ़ाई अर्नब की अंतरिम जमानत अवधि, हाईकोर्ट को लगाई फटकार 

कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर दंगों में अपनी भूमिका से इनकार कर चुके है और मामले में सीबीआई द्वारा उन्हें क्लीनचिट दी जा चुकी है लेकिन अदालत ने एजेंसी को इस मामले की और जांच करने के निर्देश दिये है। मामले में सीबीआई की ‘क्लोजर रिपोर्ट’ को चुनौती देते हुए पीड़ितों ने एक याचिका दायर की थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़