पूर्व एवं पश्चिम के चक्रवाती तूफानों के संगम से देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही है भारी बारिश

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ग्रीनपीस इंडिया के वरिष्ठ जलवायु प्रचारक इश्तियाक अहमद ने कहा कि ये बारिश पूर्व एवं पश्चिम से चक्रवाती तूफानों का परिणाम हैं और इससे बड़ा पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है और देश में खाद्य सुरक्षा को पटरी से उतार सकता है।

नयी दिल्ली| देश के विभिन्न हिस्से में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश की वजह बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठे चक्रवाती तूफानों का संगम है।

उत्तराखंड, केरल और कई अन्य राज्यों में भारी बारिश की वजह से कई लोगों की जान जा चुकी है। यह बात मंगलवार को विशेषज्ञों ने कही। जलवायु विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि केरल और उत्तराखंड में बारिश की तीव्रता ‘‘चिंताजनक’’ है और ‘‘जलवायु आपातकाल’’ की तरफ ध्यान आकर्षित करता है।

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समन्वित स्वास्थ्य एवं कल्याण परिषद् (आईएचडब्ल्यू परिषद्) के सीईओ कमल नारायण उमर ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों से हमने विपरीत जलवायु घटनाओं की संख्या में बढ़ोतरी देखी है और उष्णकटिबंधीय देश होने के नाते, मेरा मानना है कि समय आ गया है कि भारत जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए क्योंकि पिछले कुछ समय से जलवायु के और खराब होने का रूख प्रतीत होता है।’’

ग्रीनपीस इंडिया के वरिष्ठ जलवायु प्रचारक इश्तियाक अहमद ने कहा कि ये बारिश पूर्व एवं पश्चिम से चक्रवाती तूफानों का परिणाम हैं और इससे बड़ा पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है और देश में खाद्य सुरक्षा को पटरी से उतार सकता है।

अहमद ने कहा, ‘‘देश के विभिन्न हिस्से में इस तरह की भीषण बारिश का बड़ा कारण पूर्वी एवं पश्चिमी तूफानों का संगम है। असमय बारिश से पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है जिससे देश में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा पहल को क्षति हो सकती है।’’

आईआईटी भुवनेश्वर में सहायक प्रोफेसर वी. विनोज ने कहा कि राज्यों एवं देश को ‘‘जलवायु स्मार्ट’’ बनना होगा। उन्होंने जलवायु की स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने के लिए विशिष्ट सूचना प्रणाली लगाए जाने का सुझाव दिया।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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