विधायकों को अयोग्य करार देने को चुनौती पर HC में सुनवाई

High Court begins hearing pleas challenging disqualification of MLAs
[email protected] । Sep 20 2017 2:31PM

वरिष्ठ वकील पी आर रमन ने जस्टिस एम दुरईस्वामी से त्वरित सुनवाई का अनुरोध किया। न्यायाधीाश इस बात पर सहमत हो गए कि यदि आज याचिकाएं लगाई जाती हैं तो आज सुनवाई की जाएगी।

चेन्नई। तमिलनाडु के स्पीकर द्वारा टीटीवी दिनाकरण के समर्थक 18 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मद्रास उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। अयोग्य करार दिए गए 18 विधायकों में से आठ विधायक कल अदालत पहुंचे थे। उन्होंने दल बदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ उठाए गए कदम को चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी अलग-अलग याचिकाओं में स्पीकर पी धनपाल के आदेश पर हमला बोला और इस आदेश को ‘अनाधिकृत’ एवं ‘अवैध’ बताया। याचिकाओं में मांग की गई कि स्पीकर, सरकारी प्रमुख सचेतक एस राजेंद्रन, मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी और विधानसभा सचिव को निर्वाचित प्रतिनिधियों के तौर पर उनके अधिकारों में हस्तक्षेप करने से रोका जाए।

राजेंद्रन की याचिका पर कदम उठाते हुए स्पीकर ने सोमवार को दलबदल विरोधी कानून और संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत 1986 में बने अयोग्यता संबंधी नियमों के तहत 18 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था। ये विधायक अन्नाद्रमुक के नेता टीटीवी दिनाकरण के समर्थक थे। विधायकों ने 22 अगस्त को राज्यपाल सी विद्यासागर राव से मुलाकात करके मुख्यमंत्री में अविश्वास जताया था। इसके बाद मुख्य सचेतक स्पीकर के पास गए थे। दिनाकरण ने विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की निंदा करते हुए कहा था कि वे स्पीकर के कदम को कानूनी तौर पर चुनौती देंगे। याचिकाकर्ताओं के नाम हैं- पी वेट्रीवल, एन जी प्रतिबान, पी पलानीअप्पन, जयंती पदमनाभन, सेंथिल बालाजी, आर मुरूगन, आर बालसुब्रमणि और एस मुथैया। उन्होंने स्पीकर द्वारा पारित किए गए अयोग्यता संबंधी आदेश को ‘‘अनाधिकृत, अवैध और अधिकार क्षेत्र से परे बताते हुए’’ इसे निरस्त करने की मांग की।

 

उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि वह 18 सितंबर के विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाए और उन्हें मौजूदा सरकार पर विश्वास मत के साथ-साथ विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दे। वरिष्ठ वकील पी आर रमन ने जस्टिस एम दुरईस्वामी से त्वरित सुनवाई का अनुरोध किया। न्यायाधीाश इस बात पर सहमत हो गए कि यदि आज याचिकाएं लगाई जाती हैं तो आज सुनवाई की जाएगी। 18 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के साथ ही 234 सदस्यीय विधानसभा में महज 215 निर्वाचित सदस्य रहे गए हैं। एक सीट पहले से ही खाली है। अब सरकार को शक्तिपरीक्षण की स्थिति विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए महज 108 वोटों की जरूरत होगी।

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