Himachal के एकमात्र 2023 पद्म पुरस्कार विजेता को नौ-अनाज पद्धति को पुनर्जीवित करने का श्रेय

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यह एक प्राकृतिक और रसायन मुक्त विधि है जो भूमि की उर्वरता में सुधार करती है और पानी की खपत को लगभग 50 प्रतिशत कम करती है। इस विधि के तहत नौ फसलों-दाल, अनाज, सब्जियों, फलियों और लताओं को एक ही भूमि पर उगाया जाता है।

हिमाचल प्रदेश से इस साल एकमात्र पद्म पुरस्कार विजेता नेकराम शर्मा को राज्य में पारंपरिक नौ-अनाज फसल प्रणाली को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है। ‘नौ अनाज’ का शाब्दिक अर्थ ‘नौ फसलों’ से है। यह एक प्राकृतिक और रसायन मुक्त विधि है जो भूमि की उर्वरता में सुधार करती है और पानी की खपत को लगभग 50 प्रतिशत कम करती है। इस विधि के तहत नौ फसलों-दाल, अनाज, सब्जियों, फलियों और लताओं को एक ही भूमि पर उगाया जाता है।

शर्मा ने पीटीआई-से कहा, ‘‘प्राकृतिक खेती और संबंधित फसल प्रणाली से फसलों का विविधीकरण होता है, जिससे मिट्टी मजबूत होती है और धीरे-धीरे गुणवत्ता तथा उपज बढ़ती है, साथ ही पानी के उपयोग और लागत में कमी आती है।’’ गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शर्मा को कृषि के क्षेत्र में विशिष्ट सेवाओं के लिए चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ देने की घोषणा की गई।

मंडी जिले के करसोग के निवासी 59 वर्षीय शर्मा ने महसूस किया कि उर्वरकों और एकल-फसल प्रणाली पर जोर देने वाले रसायनों के उपयोग के कारण उनकी भूमि की मिट्टी की उर्वरता बिगड़ गई है। इसके चलते शर्मा ने ज़मीन को खराब होने से बचाने तथा स्वस्थ फ़सलों के उत्पादन पर ध्यान दिया और पारंपरिक कृषि तकनीकों के बारे में जानने के लिए यात्राएं कीं और पुराने किसानों के साथ बातचीत की।

इन यात्राओं के दौरान उन्हें ‘नौ-अनाज’ की स्वदेशी प्रथा के बारे में पता चला। जलवायु परिस्थितियों या कीट के हमलों के कारण प्रयोग विफल होने की स्थिति में शर्मा ने 1995 में कटी हुई फसलों का हिस्सा रखकर प्राकृतिक खेती शुरू की। उन्होंने फसल को रसायन मुक्त रखने का फैसला किया और सावधानीपूर्वक नौ मिश्रित फसलें चुनीं जो एक-दूसरे के विकास में सहायता करती हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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