प्रभासाक्षी.कॉम के कार्यालय में उत्साह के साथ मनाया गया हिन्दी दिवस

Hindi Diwas celebrated with enthusiasm in Prabasakshi.com office

प्रभासाक्षी.कॉम के कार्यालय में हिन्दी दिवस पर आज एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें सुलेखन और कविता पाठ के अलावा मुहावरों पर मूक अभिनय जैसी रोचक प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

नयी दिल्ली। प्रभासाक्षी.कॉम के कार्यालय में हिन्दी दिवस पर आज एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें सुलेखन और कविता पाठ के अलावा मुहावरों पर मूक अभिनय और हिन्दी में लिखे अंकों की बड़ी से बड़ी संख्या के उच्चारण जैसी रोचक प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रभासाक्षी के फेसबुक पेज पर सीधा प्रसारण किये गये इस कार्यक्रम में सुलेखन प्रतियोगिता में रम्या सिंह और कविता प्रतियोगिता में प्राची थापन ने प्रथम पुरस्कार जीता। मुहावरों पर मूक अभिनय के लिए दो टीमें- निराला और पंत बनायी गयी थीं जिनमें निराला टीम विजयी रही। हिन्दी में लिखे अंकों के उच्चारण में सुदेश नेगी विजयी रहे।

कार्यक्रम में भाग लेने वालों में प्रतिभागियों में रम्या सिंह, चेतना धामा, प्राची थापन, पूनम नागर, अर्चना द्विवेदी, महेन्द्र सिंह शेखावत, सुधांशु पाठक, हिमांशु गुप्ता, अनुतोष पाण्डेय, सुदेश नेगी, भगवती सिंह, राजेन्द्र सिंह, अनूप सिंह और दिनेश कुमार शामिल हैं। कार्यक्रम का मुख्य संचालन अनुतोष पाण्डेय ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन नीरज कुमार दुबे ने दिया। कविता पाठ कार्यक्रम का संचालन रम्या सिंह ने किया।

दीप प्रज्ज्वलन के बाद कार्यक्रम के शुभारम्भ में अनुतोष पाण्डेय ने कहा कि आज जब कम्प्यूटर/मोबाइल पर इन्टरनेट या सोशल मीडिया देखता हूँ तो गर्व होता है कि वो हिंदी जिसे हमने अबला मान लिया था आज नए तेवर और नए कलेवर के साथ आगे बढ़ रही है, आज के युग में हिंदी का बोलबाला है, हिंदी की लोकप्रियता का पता इसी बात से चलता है कि आज हिंदी पुस्तकों के पाठकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, हिंदी साहित्य में नए नए लेखक तमाम नए प्रयोग कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले हिंदी के एक प्रतिष्ठित अखबार ने अंग्रेज़ी साहित्य की तर्ज़ पर हिंदी बेस्टसेलर की सूची निकाली। उन्होंने कहा कि हिंदी किताबों की बिक्री के आंकड़े बताते हैं कि अब हिंदी भाषा के दिन बदल रहे हैं।

कार्यक्रम के समापन सत्र में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रभासाक्षी के सहयोगी संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा ही नहीं राजभाषा भी है, हमें इसके उपयोग को लेकर किसी प्रकार की झिझक या शर्म नहीं होनी चाहिए। आज हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी विदेश में जहां भी जाते हैं सिर्फ हिंदी में ही बात करते हैं। यही नहीं यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है कि हिंदी के तकनीकी विकास में हमारे संस्थान द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक श्री गौतम मोरारका जी का भी भरपूर योगदान रहा है। उन्होंने सन 2001 में जब प्रभासाक्षी.कॉम की स्थापना की तब इंटरनेट पर हिंदी नाममात्र के लिए उपलब्ध थी। श्री मोरारका जी ने बिना किसी व्यावसायिक लाभ की अपेक्षा करते हुए इंटरनेट पर हिंदी भाषा के विकास, विस्तार और आम भारतीयों तक उनकी अपनी भाषा में वांछित जानकारी पहुँचाने का जो लक्ष्य तय किया था उसे देश-विदेश के लाखों पाठकों की बदौलत हासिल तो कर लिया गया लेकिन चुनौती बिना आर्थिक लाभ के मैदान में डटे रहने की थी।

उन्होंने कहा कि पिछले 16-17 वर्षों में पता नहीं कितने हिंदी के समाचार पोर्टल आए और गए लेकिन श्री मोरारका जी के दृढ़ निश्चयी रुख और हिंदी भाषा के प्रति प्रतिबद्धता के कारण प्रभासाक्षी मैदान में ना सिर्फ डटा रहा बल्कि अपने तीव्र अपडेशन और विविधता भरी पठनीय सामग्री के चलते समाचार जगत में एक अलग पहचान बनाने में भी कामयाब रहा।

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