असम-मिजोरम विवाद: इतिहास बना दोनों राज्यों के बीच विवाद का मुख्य कारण
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद पर हुई चर्चा का नतीजे का परिणाम बेनतीजा रहा। मिजोरम ने 2020 के जैसी स्थिति को बनाये रखने के लिए असम के द्वारा किये गए प्रस्ताव पर सोचने के वास्ते और वक्त मांगा है।
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद पर हुई चर्चा का नतीजे का परिणाम बेनतीजा रहा। मिजोरम ने 2020 के जैसी स्थिति को बनाये रखने के लिए असम के द्वारा किये गए प्रस्ताव पर सोचने के वास्ते और वक्त मांगा है।
असम और मिजोरम के बीच में हुए सीमा विवाद को लेकर शुक्रवार को दोनों जगह के सेना प्रमुख कि बातचीत हुई। अधिकारियों से बातचीत करने पर यह बात भी सामने आयी है कि गुजरात भवन में मुख्य सचिव स्तर की वार्ता दिन भर चली। जिसमें असम सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने सीमा पर हुई झड़प के बाद स्थिति को सामान बनाए रखने के लिए और विवादित क्षेत्रों से सुरक्षा बलों को हटाए जाने का प्रस्ताव मिजोरम सरकार के सामने रखा है।
मिजोरम सरकार का समझौते पर हस्ताक्षर से इंकार
साथ ही उन्होंने ये सूचना दी कि मिजोरम सरकार की टीम ने आगे और परामर्श करने के लिए वक्त मांगा तथा समझौते पर हस्ताक्षार करने से इनकार कर दिया।
असम के सचिव जिश्नु बरूआ ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, ‘हम कुछ विषयो पर सहमत हो गए है लेकिन मिजोरम सरकार ने और वक्त मांगा है। हम अगली बैठक में सहमति पर पहुंचने की उम्मीद करते हैं।’’
दोनों राज्यों में विवाद के बाद हुई बैठक
इसके साथ असम के अधिकारियों ने यह भी जानकारी दी कि असम की बराक घाटी में पड़ने वाले जिलों कछार, करीमगंज और हैलाकांडी की 164 किमी सीमा मिजोरम के तीन जिलों आइजोल,कोलासीब और मामित से जुडी हुई है |
माना जा रहा है, कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों ने सीमा पर हुए विवाद को तलाशने के लिए यह बैठक की। यह झड़प मिजोरम के कोलासीब जिले में एक छोटी से झड़प के बाद शुरू हुई ,इस जिले कि सीमा असम के हैलाकांडी जिले से साथ जुडी हुई है| दोनों राज्यों के सुरक्षा बल सीमा के दोनों ओर विवादित क्षेत्र में नज़र रखे हुए हैं।
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