कहां तक पहुंचा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य? ट्रस्ट ने तस्वीरें साझा कर दी जानकारी
तस्वीरों में साफ तौर पर दिख रहा है कि पत्थरों के ब्लॉक से फर्श का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इससे पहले गर्भ गृह पर चबूतरे का निर्माण कार्य शुरू हुआ था जहां रामलला विराजमान थे। गर्भ गृह पर ऊंचे चबूतरे के निर्माण के बाद ही फर्श का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और राम मंदिर ट्रस्ट के गठन के बाद से अयोध्या में मंदिर का निर्माण लगातार जारी है। हालांकि सबसे बड़ा सवाल यही है कि फिलहाल श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य कहां तक पहुंचा है। इसकी जिज्ञासा सभी को है। इसी को लेकर आज श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कुछ तस्वीरें जारी की है। इन तस्वीरों में साफ तौर पर पता चल रहा है कि किस तरीके से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। अयोध्या में 70 एकड़ की भूमि में राम जन्मभूमि परिसर का निर्माण कार्य चल रहा है।
तस्वीरों में साफ तौर पर दिख रहा है कि पत्थरों के ब्लॉक से फर्श का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इससे पहले गर्भ गृह पर चबूतरे का निर्माण कार्य शुरू हुआ था जहां रामलला विराजमान थे। गर्भ गृह पर ऊंचे चबूतरे के निर्माण के बाद ही फर्श का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। फिलहाल मंदिर के शेष हिस्सों में फर्श का निर्माण कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। जानकारी के मुताबिक श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दिसंबर 2023 तक श्रद्धालुओं के लिए राम मंदिर खोलने का लक्ष्य रखा है। इसी लक्ष्य के साथ मंदिर का निर्माण कार्य काफी तेजी से हो रहा है।श्री रामजन्मभूमि मन्दिर स्थल पर फर्श निर्माण से पूर्व चबूतरा (प्लिंथ) के निर्माण का कार्य अब पूर्णता की ओर है।
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) March 31, 2022
The plinth work at Shri Ram Janmabhoomi Mandir site is reaching it's final stage. pic.twitter.com/1skLgzMuma
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आपको बता दें कि 1990 में जो मंदिर का मॉडल तय किया गया था। उसमें थोड़ा सा बदलाव हुआ है और फिलहाल मंदिर का शिखर 5 शिखर वाला होगा। पहले मंदिर में तीन ही शिखर थे। मंदिर की ऊंचाई जमीन से लगभग 161 मीटर होगी। बताया जा रहा है कि लगभग 200 पत्थरों की खेप रामलला के परिषद तक पहुंच चुके हैं। आवश्यकतानुसार इन पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मंदिर के निर्माण कार्य के लिए पत्थर को तराश कर रखे जा रहे हैं। बंसी पहाड़पुर में मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थर की आपूर्ति की बाधा भी खत्म हो चुकी है।
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