आदर्श सोसायटी के बेनामी फ्लैटों के मामले में और जांच का निर्देश

[email protected] । Oct 5 2016 5:25PM

बंबई उच्च न्यायालय ने आज केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को घोटाले वाली आदर्श सोसायटी के ‘बेनामी’ फ्लैटों की और जांच करने का निर्देश दिया।

मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने आज केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को घोटाले वाली आदर्श सोसायटी के ‘बेनामी’ फ्लैटों की और जांच करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह निर्देश उस समय दिया जब एजेंसी ने बताया कि वह जांच पूरी कर चुकी है और उसने दो साल पहले आरोपपत्र सौंपा था। न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति एए सैयद की खंडपीठ सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण वाटेगांवकर द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया कि वरिष्ठ नौकरशाहों और नेताओं ने आदर्श आवासीय इमारत में ‘बेनामी’ फ्लैट हासिल किये और ऐसा कई नियमों का उल्लंघन करके सोसायटी से संबंधित फाइलों को मंजूरी देने के बदले में किया गया।

उच्च न्यायालय ने इससे पहले सीबीआई द्वारा सौंपी गई दो रिपोर्ट स्वीकार करने से इंकार कर दिया था जिसमें बताया गया था कि उनकी जांच में क्या निकलकर आया है। अदालत ने निर्देश दिया, ''(सीबीआई द्वारा) इससे पहले सौंपी गई दो रिपोर्ट में हमने पाया कि सीबीआई के जांच अधिकारी ने बिल्कुल दिमाग नहीं लगाया। यह कहना पर्याप्त है कि हम जांच के तरीके से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए हम सीबीआई को याचिका में लगाए गए स्पष्ट आरोपों की और जांच करने के लिए निर्देश देना उचित मानते हैं।’’ पीठ ने सीबीआई के 16 दिसंबर को नई जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय के पिछले निर्देश के अनुसार, सीबीआई के संयुक्त निदेशक (पश्चिमी क्षेत्र) अमृत प्रसाद आज अदालत में मौजूद थे।

जब उच्च न्यायालय ने आज वरिष्ठ अधिकारी से पूछा कि क्या सीबीआई इस तथ्य को देखते हुए आगे जांच करने की इच्छुक है कि अदालत पिछली रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है, प्रसाद ने कहा कि सीबीआई बेनामी फ्लैटों तथा लेनदेन की अपनी जांच पूरी कर चुकी है तथा जुलाई 2014 में सीबीआई अदालत के सामने आरोपपत्र दायर कर चुकी है। हालांकि प्रसाद ने कहा कि अगर उच्च न्यायालय को लगता है कि आगे की जांच की जरूरत है तो एजेंसी को ऐसा करने का निर्देश दिया जा सकता है। अदालत ने आज कहा कि उच्च न्यायालय की पीठ ने इस साल अप्रैल में दक्षिण मुंबई की 31 मंजिला आदर्श इमारत को ढहाने का निर्देश देते हुए कहा था कि केन्द्र और राज्य सरकार आधिकारिक पदों के दुरूपयोग के लिए मंत्रियों, नौकरशाहों तथ नेताओं के खिलाफ दीवानी या फौजदारी कार्यवाही शुरू करने पर विचार करे। अदालत ने कहा, ‘‘अदालत का यह निष्कर्ष सीबीआई द्वारा और जांच के लिए पर्याप्त है।’’

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