India-China Border: Pangong Lake पर भारत ने कर दिया कुछ ऐसा, ड्रैगन की बढ़ जाएगी बेचैनी

पर्यटकों को 18,314 फीट ऊंचे मर्सिमिक ला (पास) से त्सोगत्सालो तक जाने की अनुमति दी जाएगी, जो रिमडी चू और चांग चेनमो नदियों के संगम के पास एक चरागाह है, जो लेह से लगभग 160 किलोमीटर पूर्व में है।
भारत और चीन के सीमा के पास लद्दाख में स्थित पैंगोंग लेक एक बार फिर से चर्चा में है। 2020 में हुए भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। जिसके बाद यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। लेकिन अब टूरिस्ट पैंगोंग झील के करीब जाकर इसकी खूबसूरती का लुफ्त उठा सकते हैं। पहले चरण में पर्यटकों को 18 हजार से ऊंचे मर्सिमिक ला से त्सोगत्सालो तक जाने की परमीशन दी जाएगी। सूत्रों ने कहा, पर्यटकों को 18,314 फीट ऊंचे मर्सिमिक ला (पास) से त्सोगत्सालो तक जाने की अनुमति दी जाएगी, जो रिमडी चू और चांग चेनमो नदियों के संगम के पास एक चरागाह है, जो लेह से लगभग 160 किलोमीटर पूर्व में है।
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अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार दूसरे चरण में टूरिस्ट्स को हॉट स्प्रिंग्स तक जाने की अनुमति दी जाएगी। जो त्सोगत्सालु से आगे है। यहां 21 अक्टूबर 1959 को शहीद हुए 10 सीआरपीएफ जवानों के सम्मान में स्मारक भी बना है। उनकी पैट्रोलिंग टीम पर चीनियों ने हमला किया था। लद्दाख प्रशासन सीमा क्षेत्र के विकास पर केंद्र के फोकस के अनुरूप टूरिज्म के लिए खोलना चाहता है। स्थानीय लोग भी इसकी लंबे वक्त से मांग कर रहे हैं।
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पैंगोंग त्सो का अर्थ होता है उच्च घास भूमि पर झील। ये लद्दाख में लभगभ 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लैंड लॉक्ड झील है। ये विश्व में सबसे ऊंची खारे पानी की झील है। सर्दी के मौसम में इस झील का पानी जम जाता है। झील का एक तिहाई भाग भारत के पास है और दो तिहाई भाग चीन के नियंत्रण में है। इसके पश्चिमी भाग का 45 किमी क्षेत्र भारत के नियंत्रण में आता है जबकि शेष चीन के नियंत्रण में है। एलएसी रेखा झील के मध्य से होकर गुजरती है।
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