भारत विविध सांस्कृतिक विरासतवाला देश है : मगनभाई पटेल

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इस वाव के नजदीक हर साल एक मेला भी लगता है जिसमे आसपास के इलाके के हजारों लोग इस मेले का लाभ उठाते हैं। इसी इलाके में यू.एन.मेहता आई हॉस्पिटल है जिसमें श्री मगनभाई पटेल १८ सालो से फाउंडर मेनेजिंग ट्रस्टी के रूप में सेवा कर रहे हैं।

अहमदाबाद के वटवा इलाके में "आई श्री खोडियार माताजी" का ४०० साल पुरानी वाव है जिसे भारतीय विरासत संस्कृति के रूप में भारतीय पुरातत्व विभाग में शामिल किया गया है। इस पवित्र वाव और इसके जिनोद्धार का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव १४.१२.२०२१ को शाम सेवा फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री मगनभाई पटेल की अध्यक्षतामे किया गया था।इस पवित्र पुरानी वाव में बिराजमान खोडियार माँ के सानिध्यमे हाल ही में एक धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया था। जिसमे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्यदाता श्री सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज एव ऑल इंडिया एमएसएमई फेडरेशन के अध्यक्ष श्री मगनभाई पटेल की अध्यक्षता में संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस वाव के नजदीक हर साल एक मेला भी लगता है जिसमे आसपास के इलाके के हजारों लोग इस मेले का लाभ उठाते हैं। इसी इलाके में यू.एन.मेहता आई हॉस्पिटल है जिसमें श्री मगनभाई पटेल १८ सालो से फाउंडर मेनेजिंग ट्रस्टी के रूप में सेवा कर रहे हैं जिसमे उनके फंड से रक्तदान शिविर,आई चेकअप केम्प,व्यसन मुकित केम्प एव रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम इत्यादि आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा श्री मगनभाई पटेल द्वारा १५ अगस्त और २६ जनवरी को वटवा इलाके की स्कूलों में स्कूली बच्चों को उपहार एव मोमेंटो भी दिया जाता है।

यहां यह बताना आवश्यक है कि वटवा इलाके में विकलांग भाई-बहनों की संस्था विकलांग सहायक केंद्र के पेट्रन चेरमेन श्री मगनभाई पटेल हैं और इस संस्था में ४५० से अधिक विकलांग भाई-बहन सदस्य हैं। इस संस्था द्वारा सर्वधर्म सामूहिक विवाह, विकलांग उपकरण-सहायता वितरण, राशनकिट सहायता,विकलांग दिवस समारोह, विकलांग भाई-बहनों के बच्चों के लिए शैक्षिक सहायता जैसी विभिन्न सेवा गतिविधियाँ भी श्री मगनभाई पटेल के वित्तीय सहयोग से इस संस्था द्वारा की जाती हैं। हाल ही में इस वाव के पास श्री मगनभाई पटेल की अध्यक्षता में एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था,इस कार्यक्रम के पुरे खर्च का भुगतान श्री मगनभाई पटेलने आयोजकों को मौके पर ही कर दिया था। 

इस धार्मिक कार्यक्रम में श्री मोमाई मंडल,कलोल की २० बहनों के एक समूह द्वारा सुंदर प्रस्तुति की गई जिसमें गणेशजी,बहुचर माँ,अम्बे माँ,कालिका माँ एव खोडियार माँ के विभिन्न रूपों में सुंदर भजन प्रस्तुत किए गए जिसे देखकर उपस्थित सभी भावी श्रद्धालु धन्य हो गये। यह धार्मिक कार्यक्रम एक अत्यंत साधारण मंडली द्वारा प्रस्तुत किया गया था। यदि इसी कार्यक्रम को पेशेवर तरीके से किया जाता तो इसकी लागत बहुत अधिक हो सकती थी जबकि इस संस्था ने इसे मात्र ११,००० रुपये की बेहद मामूली राशि के साथ प्रस्तुत किया उसमें भी श्री मगनभाई पटेल ने अतिरिक्त अनुदान देकर इन बहनों का उत्साह बढ़ाया। यहां बताना जरूरी है कि यह मंडली अपनी सदस्य बहनों को भुगतान करने के बाद बची हुई रकम जरूरतमंद लोग एव विधवा बहनों पर खर्च करती है।

इस कार्यक्रम के आयोजक श्री मधुभाई शुक्ला, श्री गर्ग शुक्ला, श्री अश्विनभाई शुक्ला, श्री संजयभाई शुक्ला, श्रीमती हंसाबेन शुक्ला, श्री वेदांगभाई व्यास आदि उपस्थित थे।यहां ध्यान देनेवाली बात यह है कि इन लोगोंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में समर्पित कर दिया है। इस अवसर पर श्री मगनभाई पटेलने अपने संबोधन में उपस्थित सभी लोगों से कहा कि आप सभी शिक्षित हैं, छुट्टियों के दिनों में इस क्षेत्र के गरीब बच्चों को प्रशिक्षित करें, यू.एन.मेहता आई हॉस्पिटल में नशामुक्ति, रोजगारोन्मुखी, स्वास्थ्य एवं योग जैसे कार्यक्रम संचालित करें,आवश्यकतानुसार सभी खर्चों का भुगतान करने का प्रयास किया जायेगा।

इस अवसर पर श्री मगनभाई पटेलने आगे कहा कि भारत एक विविध सांस्कृतिक विरासतवाला देश है।भारत के लोग बहुत धार्मिक और कला प्रेमी लोग हैं।हमारे देश में सामाजिक एवं धार्मिक अवसर पर विभिन्न कलाकारों द्वारा नाटक,लोकगीत,विवाह गीत इत्यादि जैसे सुन्दर कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं। हमारे देश में विवाह समारोह में विभिन्न संगीत समूहों द्वारा सुंदर विवाह गीत गाए जाते हैं।ये तो हुई गुजरात की संस्कृति की बात,लेकिन देश के अन्य सभी राज्यों में गांवों और शहरी इलाकों में स्थानीय संस्कृति के अनुरूप कार्यक्रम होते है जो देश की धरोहर हैं,जिन्हें बचाए रखना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।

श्री मगनभाई पटेलने आगे कहा कि हमारे देश के अधिकांश बड़े व्यवसायी, विभिन्न सेलिब्रिटीज़ विदेशों में बड़ी पांच सितारा होटले,रिसॉर्ट्स,नाइट क्लबे  इत्यादि में शादी की सालगिरह, जन्मदिन समारोह पर अरबों रुपये खर्च करते हैं जिसमे ज्यादातर पैसा कालेधन के रूप में होता है। अपने पैसे का इस तरह इस्तेमाल करके वह देश की संस्कृति का अपमान करते हैं। इन कार्यक्रमों में विदेशी कलाकार मनोरंजन के नाम पर केवल अश्लीलता का प्रदर्शन करते है जिससे सबसे ज्यादा नुकसान हमारी भारतीय संस्कृति को होता है।

इसी तरह हमारे देश में भी सामाजिक आयोजनों पर सालाना करीब १ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का अनुमानित खर्च होता है।आज देश में यूट्यूब, इंस्टाग्राम,फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से जिस तरह से इस पश्चिमी अश्लील संस्कृति का चित्रण किया जाता है उसने आज के युवाओं में असमानता और विकृति पैदा कर दी है।आज हमारे देश में वर्टिकल डेवलपमेन्ट हो रहा है जिसकी जगह हॉरिजॉन्टल डेवलपमेन्ट का समय है। आज हमारे देश में टाटा, बिरला, बजाज, कस्तूरभाई जैसे कई महान महाजन हैं जिनके वहा कोई प्रसंग होता है तो किसी को पता भी नहीं चलता लेकिन जब देश पर कोई विपदा आती है, तो ऐसे महाजनो का योगदान सर्वोपरि होता है,यही भारत की संस्कृति है जो हमारे लिए एक दिशा सूचक है।

पश्चिमी संस्कृति की इस अश्लील पकड़ ने भारतीय युवाओं को पूरी तरह से हतोत्साहित कर दिया है।देश के युवाओं की पश्चिमी संस्कृति के प्रति लगाव एक भयानक आर्थिक और सामाजिक आपदा को निमंत्रण है।इस प्रकार की अश्लीलता से पूरा समाज प्रदूषित हो रहा है।यदि हम देश के युवाओं को बचाना चाहते हैं, तो हम सभी को इसे अस्वीकार करना होगा और  "पश्चिमी नृत्य और कार्यक्रम का बहिष्कार" करना होगा क्योंकि इस तरह के कार्यक्रम केवल अमीर परिवार ही करते हैं क्योंकि वे आर्थिक रूप से सक्षम होते हैं, लेकिन आज के मध्यमवर्गीय परिवार भी दिखावेपन के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम करने लगे है जिसके लिए वे बैंक से ऋण लेकर या ऊंची ब्याज दरों पर ऋण लेते हैं और बाद में इस राशि का भुगतान न होने के कारण उन्हें अपनी संपत्ति बेचने की बारी आती है और आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाते हैं।इस विषय में सरकार के सांस्कृतिक विभाग को हस्तक्षेप करने की विशेष आवश्यकता है। देश के कलाकारों को ही काम मिले और हमारी संस्कृति के संरक्षण की उचित व्यवस्था की जाये यह वर्तमान समय की मांग है।

श्री मगनभाई पटेलने अपने भाषण के अंत में कहा कि हमारे देश में सांस्कृतिक कलाओं के प्रदर्शन से कई लोगों को रोजगार मिलता है इसलिए यह एक रोजगारलक्षी क्षेत्र है।भारत सरकार से अनुरोध है कि यदि इस क्षेत्र को सेवाक्षेत्र में शामिल कर लिया जाये तो रोजगारोन्मुखी एवं परिणामोन्मुखी कार्य हो सकता है ताकि इस क्षेत्र का विकास हो सके और इस क्षेत्र के लोग आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे जिसमे कोई संदेह नहीं है।

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