परमाणु हथियारों को प्रतिबंधित करने वाली संधि को लेकर भारत का बयान, कहा- हम नहीं करते इस संधि का समर्थन

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भारत ने कहा कि हम परमाणु-हथियार संबंधी संधि का समर्थन नहीं करते है।विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और इसे उच्च प्राथमिकता देता है।

नयी दिल्ली। परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली अब तक की पहली संधि के प्रभावी होने के बीच भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह इस संधि का समर्थन नहीं करता और इससे उत्पन्न किसी भी दायित्व से बाध्य नहीं होगा। परमाणु हथियार निषेध संधि को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जुलाई 2017 में मंजूरी दी थी और 120 से अधिक देशों ने इसे स्वीकृति प्रदान की थी। लेकिन परमाणु हथियारों से लैस या जिनके पास इसके होने की संभावना है, उन नौ देशों--अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजराइलने इस संधि का कभी समर्थन नहीं किया और न ही 30 राष्ट्रों के नाटो गठबंधन ने इसका समर्थन किया।

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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और इसे उच्च प्राथमिकता देता है। मंत्रालय ने कहा, जहां तक परमाणु हथियार निषेध संधि का सवाल है तो भारत ने इस संधि पर बातचीत में हिस्सा नहीं लिया और हमने लगातार यह स्पष्ट किया है कि वह संधि का हिस्सा नहीं है। संधि को 24 अक्टूबर 2020 को 50वां अनुमोदन प्राप्त हुआ था और यह 22 जनवरी से प्रभावी हुआ।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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