युद्ध में भारतीयों को रूस-यूक्रेन कर रहे हैं मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल? विदेश मंत्रालय का आया बयान, अमेरिका ने भी दी प्रतिक्रिया

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रेनू तिवारी । Mar 3 2022 10:23AM

यूक्रेन से लौट रहे कई छात्रों ने यह दावा किया है कि यूक्रेन की सेमा भारतीय के साथ दुरव्यवहार कर रही हैं। ऐसे में रूस की तरफ से दावा किया गया है कि यूक्रेन के सैनिकों ने कुछ भारतीय छात्रों को बंदी बनाया हुआ है और रूस के खिलाफ उनका मानव ढाल की करह प्रयोग कर रहा है।

यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है और इस जंग में मासूम नागरिकों की जान पर बन आयी है। एक दावे के अनुसार अबतक 500 ज्यादा आम नागरिक यूक्रेन में मारे जा चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ भारत के हजारों छात्र अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। भारत से हर साल एक बड़ी संख्या में स्टूडेंट और लोग यूक्रेन डॉक्टर की पढ़ाई करने के लिए जाते है। युद्ध के कारण यह छात्र यूक्रेन में फंस गये हैं। भारत सरकार रोमानिया और पोलेंड के हवाई क्षेत्रों के माध्यम से भारतीयों को वापस निकालने का प्रयास कर रही हैं। भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा चलाया है जिसमें यूक्रेन से भारतीयों को रेस्क्यू किया जा रहा है। रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर भारत किसी के पक्ष में नहीं है। भारत ने यूएन की किसी भी बैठन में हिस्सा नहीं लिया है। वह रूस का विरोध भी नहीं कर रहा है ऐसे में भारत पर दवाब बनाया जा रहा था कि भारत रूस की निंदा करे लेकिन भारत ने रूस का न तो साथ दिया न ही विरोध किया। 

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रूस का दावा भारतीयों को मानव ढाल बना रहे हैं यूक्रेनी सैनिक

यूक्रेन से लौट रहे कई छात्रों ने यह दावा किया है कि यूक्रेन की सेमा भारतीय के साथ दुरव्यवहार कर रही हैं। ऐसे में रूस की तरफ से दावा किया गया है कि यूक्रेन के सैनिकों ने कुछ भारतीय छात्रों को बंदी बनाया हुआ है और रूस के खिलाफ उनका मानव ढाल की करह प्रयोग कर रहा है। रूस ने बुधवार को कहा कि उसकी सेना "युद्ध क्षेत्र" से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव कोशिश कर रही थी, लेकिन दावा किया कि यूक्रेनियन भारतीय छात्रों के एक समूह को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए बंधक बना रहे थे। यह जानकारी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक फोन पर बातचीत के दौरान प्रदान की। एक हफ्ते के अंदर रूस और भारत के बीच यह दूसरी बातचीत थी। 

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यूक्रेन ने किया रूस के दावे को खारिज

हालांकि यूक्रेन ने रूस के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि ''रूस ने भारत, पाकिस्तान, चीन और अन्य देशों के छात्रों को बंधक बना लिया था।'' यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "हमने रूसी संघ से खार्किव और सूमी में अपनी शत्रुता को तुरंत बंद करने का आह्वान किया ताकि वे विदेशी छात्रों सहित नागरिक आबादी को सुरक्षित यूक्रेन के शहरों में निकालने की व्यवस्था कर सकें।" यूक्रेन ने मांग की कि मास्को अन्य यूक्रेनी शहरों के लिए मानवीय गलियारा खोलने की अनुमति दे।

 

रूस ने लगाया था यह आरोप 

बातचीत के क्रेमलिन रीडआउट में पुतिन के अपनी सेना को "रूस के सबसे छोटे मार्ग के साथ मानवीय गलियारे के माध्यम से खारकीव (खार्किव) से भारतीय छात्रों के एक समूह की तत्काल निकासी सुनिश्चित करने का दावा किया गया था। मलिन रीडआउट ने कहा कि इन छात्रों को वास्तव में यूक्रेनी सुरक्षा बलों द्वारा बंधक बना लिया जाता है, जो उन्हें मानव ढाल के रूप में उपयोग करते हैं और हर संभव तरीके से उन्हें रूस जाने से रोकते हैं। इस मामले में जिम्मेदारी पूरी तरह से कीव (कीव) अधिकारियों के पास है।

भारत सरकार ने कहा- भरतीयों को बंदी बनाने की कोई रिपोर्ट नहीं

विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यूक्रेन में भारतीय दूतावास अपने नागरिकों से सतत सम्पर्क बनाये हुए है और किसी छात्र के बंधक बनाए जाने की स्थिति का सामना करने जैसी कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यूक्रेन में भारतीय छात्रों को बंधक बनाये जाने की खबरों को लेकर मीडिया के सवालों पर यह बात कही। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, ‘‘यूक्रेन में भारतीय दूतावास अपने नागरिकों से सतत सम्पर्क बनाये हुए है। हम इस बात का संज्ञान लेते हैं कि यूक्रेन प्रशासन के सहयोग से कल कई छात्र खारकीव से बाहर निकल सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें किसी भारतीय छात्र को बंधक बनाने जैसी स्थिति का सामना करने की कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।’’ बागची ने कहा कि हमने यूक्रेन प्रशासन से आग्रह किया है कि खारकीव एवं आसपास के क्षेत्रों से छात्रों को बाहर निकालकर देश के पश्चिमी हिस्से में ले जाने के लिये विशेष ट्रेन की व्यवस्था करें। गौरतलब है कि रूस ने बुधवार को कहा था कि उसके सशस्त्र बल यूक्रेन के खारकीव शहर से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिहाज से सभी जरूरी कदम उठाने को तैयार हैं। भारत में रूसी दूतावास के एक अधिकारी ने रूस के रक्षा मंत्रालय की ब्रीफिंग का ब्योरा साझा किया था।

मॉस्को में रक्षा मंत्रालय ने लगाया था यूक्रेनी सेना पर आरोप 

मॉस्को में रक्षा मंत्रालय ने एक मीडिया ब्रीफिंग में यह आरोप भी लगाया था यूक्रेन में भारतीय छात्रों के एक समूह को उनकी बेलगोरोद जाने की इच्छा के विपरीत खारकीव में जबरदस्ती रोक कर रख रहे हैं। हालांकि भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि यूक्रेन जो अपना खून बहा रहा है, वह वहां फंसे हुए विदेशी छात्रों की मदद कर रहा है। वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम इस क्षेत्र में रूस, रोमानिया, हंगरी, स्लोवाकिया, माल्डोवा सहित अन्य देशों से प्रभावी ढंग से समन्वय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से बाहर निकाल लिया गया है।

बागची ने कहा, ‘‘ इसे संभव बनाने के लिये यूक्रेन प्रशासन की मदद की हम सराहना करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि हम यूक्रेन के पश्चिम में उसके पड़ोसियों (देशों) को भारतीय नागरिकों को देश लौटने के दौरान अपने यहां रूकने देने एवं अन्य व्यवस्था करने के लिये धन्यवाद देते हैं। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए जारी अभियान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की और यूक्रेन से भारतीयों की सुरक्षित निकासी पर चर्चा की। भारत ने युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिये ‘आपरेशन गंगा’ अभियान शुरू किया है।

यूक्रेन को बदनाम करने के लिए रूसी ने बनाया भारतीयों को ढाल

अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार (स्थानीय समयानुसार) कहा कि उन्होंने यूक्रेन में भारतीय छात्रों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने की कोई सत्यापित रिपोर्ट नहीं देखी है। इन गतिविधियों का इस्तेमाल आमतौर पर रूसी दुष्प्रचार में किया जाता है। अमेरिकी विदेश विभाग का बयान भारत में रूसी दूतावास द्वारा दावा किया गया था कि भारतीय छात्रों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए यूक्रेनी सुरक्षा बलों द्वारा बंधक बना लिया गया है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, "हमने इन घटनाओं की कोई सत्यापित रिपोर्ट नहीं देखी है, और नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने के बारे में इस प्रकार की रिपोर्टों का इस्तेमाल आमतौर पर रूसी दुष्प्रचार में किया जाता है।"

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