Jharkhand के राज्यपाल ने ई-कचरे के निपटान का सही तरीका ढूंढने की अपील की

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वह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर)- राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमल), जमशेदपुर द्वारा आयोजित ‘वन वीक, वन लैब’ (ओडब्ल्यूओएल) कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने रेखांकित किया कि ‘‘आज का नवीनतम गैजेट कल का ई-कचरा है।’’

झारखंड के राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने सोमवार को कहा कि पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निपटान का सही तरीका ढूंढा जाना चाहिए और इसके पुनर्चक्रण और पुन:इस्तेमाल से अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है। वह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर)- राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमल), जमशेदपुर द्वारा आयोजित ‘वन वीक, वन लैब’ (ओडब्ल्यूओएल) कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने रेखांकित किया कि ‘‘आज का नवीनतम गैजेट कल का ई-कचरा है।’’ उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-एनएमएल ने पुराने उपकरणों से कीमती और अन्य धातुओं को निकालने की प्रौद्योगिकी विकसित की है। 

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय वैज्ञानिकों की हर छोटी और बड़ी उपलब्धियों का जश्न मनाने से विज्ञान के प्रति रुझान बढ़ेगा और इस अमृतकाल में मददगार साबित होगा। मेरा मानना है कि सीएसआईआर द्वारा आयोजित ‘वन वीक वन लैब’ इस दिशा में उल्लेखनीय कदम है।’’ राज्यपाल ने रेखांकित किया कि एनएमएल सीएसआईआर द्वारा स्थापित शुरुआती पांच प्रयोगशालाओं में से एक है और इसने आर्सेनिक को अलग करने की प्रौद्योगिकी पर काम किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ झारखंड के कुछ हिस्सों में पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है, जिसे पीने से लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर समस्या उत्पन्न होती है। मैं पेयजल से आर्सेनिक को अलग करने की इस प्रौद्योगिकी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होते देखना चाहूंगा।’’ राज्यपाल ने कहा कि एनएमएल ने कोयले खदान में खतरनाक जीवाणुओं से युक्त पानी को साफ करके इंसानों के इस्तेमाल लायक बनाने की प्रौद्योगिकी विकसित की है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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