न्याय व्यवस्था आमूलचूल बदलाव की गुहार लगा रही है: न्यायमूर्ति गोगोई

Judicial system needs to be completely overhauled, says SC judge Gogoi
[email protected] । Jun 2 2018 9:45AM

उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने देश में बाल यौन हिंसा के मामलों को लेकर चिंता प्रकट की और कहा कि देश की न्याय व्यवस्था आमूलचूल बदलाव की गुहार लगा रही है।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने देश में बाल यौन हिंसा के मामलों को लेकर चिंता प्रकट की और कहा कि देश की न्याय व्यवस्था आमूलचूल बदलाव की गुहार लगा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा समय में जो संस्थागत खामी दिख रही हैं उसकी वजह से भविष्य में बच्चों को विरासत में चुनौतीपूर्ण हालात मिलेंगे।

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक ‘एवरी चाइल्ड मैटर्स’ के विमोचन के मौके पर न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘बच्चों के पास मतदान का अधिकार भले ही नहीं हो, लेकिन आने वाले समय में होगा। कल वे अपने नेता चुनेंगे और फिर खुद भी नेतृत्व करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे थोड़ी चिंता भी है। हम आज संपूर्ण पटल पर जो संस्थागत खामी देख रहे हैं उनसे हमारे बच्चों को विरासत में चुनौतीपूर्ण हालात मिलेंगे।’

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि आज हम जो करेंगे उसका सीधा असर हमारे बच्चों पर होगा। उन्होंने कहा कि देश की न्याय व्यवस्था आमूलचूल बदलाव की गुहार लगा रही है। उन्होंने बाल श्रम (संशोधन) कानून-2016 के कुछ प्रावधानों को लेकर उसकी आलोचना की और कहा कि इन संशोधनों का मकसद बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराना था, लेकिन पारिवारिक कारोबारों (कुछ खतरनाक कामों को छोड़कर) में बच्चों के काम करने की इजाजत देना उनकी सेवा करना नहीं है।

सत्यार्थी ने कहा कि बाल मजदूरी पर जितना अधिक अंकुश लगेगा उतना ही रोजगार बढ़ेगा। उन्होंने कहा, ‘भारत में बाल अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ाने में सामाजिक प्रयासों के साथ ही न्यायपालिका का प्रमुख योगदान रहा है। हम जैसे लोगों का न्यायपालिका में भरोसा बढ़ता ही गया है।’ नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, ‘बाल मजदूरी और बाल यौन शोषण के खिलाफ हमें अपने देश की अंतरात्मा को जगाना होगा।’

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