'उत्तर प्रदेश में जंगलराज', महबूबा मुफ्ती बोलीं- अतीक अहमद कोई फरिश्ता तो नहीं था लेकिन...

Mehbooba Mufti
ANI
अंकित सिंह । Apr 17 2023 12:09PM

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अतीक अहमद कोई फरिश्ता तो नहीं था लेकिन पुलिस कस्टडी में इस तरह से हत्या होना इससे लगता है कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज है।

माफिया ने राजनेता बना अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले को लेकर विपक्ष खूब सवाल खड़े कर रहा है और उत्तर प्रदेश की योगी सरकरा पर निशाना साधा जा रहा है। पूरे मामले पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती का बयान सामने आया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अतीक अहमद कोई फरिश्ता तो नहीं था लेकिन पुलिस कस्टडी में इस तरह से हत्या होना इससे लगता है कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज है। उन्होंने यह भी कहा कि कहीं न कहीं सत्यपाल मलिक ने पुलवामा हमले जिसमें 40 जवानों की शहादत हुई, उसमें क्या लापरवाही बरती गई और उसे किस तरह छुपाने की कोशिश की गई और भ्रष्ट्राचार को लेकर जो कहा है, इन बातों से ध्यान हटाने के लिए इसी कड़ी में अतीक और उसके भाई की हत्या हुई है। 

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वहीं, इस मामले में अखिलेश यादव ने कहा था कि उप्र में अपराध की पराकाष्ठा हो गयी है और अपराधियों के हौसले बुलंद है। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसीकी हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है  कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि गुजरात जेल से अतीक अहमद व बरेली जेल से लाए गए उनके भाई अशरफ की प्रयागराज में कल रात पुलिस हिरासत में ही खुलेआम गोली मारकर हुई हत्या, उमेश पाल जघन्य हत्याकाण्ड की तरह ही, यूपी सरकार की कानून-व्यवस्था व उसकी कार्यप्रणाली पर अनेकों गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है।

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मायावती ने आगे कहा कि देश भर में चर्चित इस अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय घटना का माननीय सुप्रीम कोर्ट अगर स्वंय ही संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे तो बेहतर। वैसे भी उत्तर प्रदेश में ’’कानून द्वारा कानून के राज’’ के बजाय, अब इसका इण्काउण्टर प्रदेश बन जाना कितना उचित? सोचने की बात। दूसरी ओर माफिया-नेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस सुरक्षा में गोली मारकर हत्या किए जाने के एक दिन बाद रविवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर इसकी जांच के लिए शीर्ष न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन का अनुरोध किया गया। 

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