कालिखो पुल सादगीपूर्ण शुरूआत से मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे
चीन की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती अनजाव जिले के रहने वाले कालिखो पुल ने अपने राजनीतिक जीवन में राज्य का आठवां मुख्यमंत्री बनने तक लंबी दूरी तय की।
इटानगर। चीन की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती अनजाव जिले के रहने वाले कालिखो पुल ने अपने राजनीतिक जीवन में राज्य का आठवां मुख्यमंत्री बनने तक लंबी दूरी तय की। हालांकि वह केवल छह महीनों के लिए इस पद पर रहे। लकड़ी का सामान बनाने वाले से अपने कॅरियर की शुरूआत करने वाले पुल गार्ड भी रहे और इसके बाद गेगांग अपांग, मुकुट मिथी और दिवंगत दोरजी खांडू सहित विभिन्न मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में राज्य का सबसे लंबे समय तक वित्त मंत्री बनने का गौरव हासिल किया।
पुल को अरुणाचल प्रदेश के सबसे कम समय के मुख्यमंत्री के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने दो महीने के राजनीतिक संकट के बाद इस साल 19 फरवरी को राज्य की कमान अपने हाथ में ली थी लेकिन पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने उनकी सत्तारूढ़ सरकार को अपदस्थ कर दिया और आदेश दिया था कि अरुणााचल में कांग्रेस की सरकार बहाल हो। दिसंबर 2015 तक कांग्रेस के साथ रहे पुल पार्टी से बगावत की और फरवरी में भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इस नियुक्ति को अवैध करार दिया। बाद में नबाम तुकी को बहाल किया गया जिसके बाद पेमा खांडू 10वें मुख्यमंत्री बने।
बीस जुलाई 1969 में अंजाव जिले के हवाई सर्किल के अंतर्गत वाल्ला गांव में ताइलुम पुल और कोरानलु पुल के घर में जन्मे पुल ने लोहित जिले के तेजू के इंदिरा गांधी सरकारी कालेज से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उनकी राजनीतिक पारी 1995 में शुरू हुई जब वह हायुलियांग सीट से विधायक निर्वाचित हुए और वह मुकुट मिथी सरकार में वित्त राज्यमंत्री बने। इसके बाद पुल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह लगातार पांच बार जीते और बिजली, वित्त, भूमि प्रबंधन जैसे विभाग संभाले। पुल वित्त राज्यमंत्री (1995.97), बिजली राज्यमंत्री (1997.99), वित्त राज्यमंत्री (1999.2000), भूमि प्रबंधन राज्यमंत्री (2002.03) और फिर वित्त राज्यमंत्री (2003.05) रहे। वह एक उच्चशक्ति प्राप्त समिति के भी अध्यक्ष रहे तथा करीब एक साल मुख्यमंत्री के सलाहकार का जिम्मा भी संभाला। वर्ष 2006.09 में वह वित्त मंत्री, फिर ग्रामीण कार्य मंत्री (2009.11) और फिर स्वास्थ्य मंत्री रहे। 2011 से 2014 के बीच वह मुख्यमंत्री के सलाहकार भी रहे और 2014 में फिर से मंत्री बने। पुल की सामाजिक सेवा, सामुदायिक सेवा और गरीबों तथा वंचितों से मिलने में विशेष रुचि थी।
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