कश्मीर में 'बेवजह' ट्रक रोके जाने से नाराज फल विक्रेताओं ने किया जोरदार प्रदर्शन
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हम आपको बता दें कि कश्मीर वेली फ्रूट्स ग्रोवर्स एण्ड डीलर यूनियन का यह भी कहना है कि त्योहारी सीजन में हजारों गाड़ियां रास्ते में रोके जाने से बड़ा नुकसान हो रहा है। यूनियन का कहना है कि पहले ही सेब सस्ते दामों पर बिक रहा है।
श्रीनगर। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सेब से लदे ट्रकों को रोके जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है क्योंकि इसके विरोध में कश्मीर घाटी के फल विक्रेताओं ने दो दिन के लिए फल मंडियों को बंद रखने का ऐलान कर दिया। साथ ही फल विक्रेताओं ने सेबों को आग के हवाले करते हुए श्रीनगर में बड़ा प्रदर्शन भी किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रेस एंक्लेव में नारेबाजी करते हुए कहा कि उपराज्यपाल को हमारी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों का संचालन बनाये रखने के उपाय करने चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि फलों से लदे ट्रकों को पांच-पांच छह दिन बिना कारण बताये रोक दिया जाता है जिससे फल खराब हो जाते हैं और लाखों रुपए का नुकसान हो जाता है। प्रभासाक्षी के साथ खास बातचीत में फल विक्रेताओं ने कहा कि उपराज्यपाल चाहें तो एक दिन में सारी समस्या का हल हो सकता है इसलिए हमने यहां आकर अपनी बात रखने का फैसला किया।
हम आपको बता दें कि कश्मीर वेली फ्रूट्स ग्रोवर्स एण्ड डीलर यूनियन का यह भी कहना है कि त्योहारी सीजन में हजारों गाड़ियां रास्ते में रोके जाने से बड़ा नुकसान हो रहा है। यूनियन का कहना है कि पहले ही सेब सस्ते दामों पर बिक रहा है ऐसे में यदि फसल रास्ते में ही खराब हो गयी तो और नुकसान उठाना पड़ेगा। यूनियन ने कहा है कि यह सिर्फ कश्मीर का ही नहीं बल्कि देश का भी मसला है। यूनियन का कहना है कि हमने कई बार इस समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान दिलाया लेकिन कोई मदद नहीं की गयी। वहीं ट्रक चालकों की भी शिकायत है कि कई-कई दिन तक ट्रक खड़े रहने के कारण हमें हमारी मजूदरी मिलने में दिक्कत आ रही है।
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हम आपको यह भी बता दें कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को राजमार्ग पर फलों से लदे ट्रकों को नहीं रोकने के निर्देश दिए हैं लेकिन इसके बावजूद इस संबंध में शिकायतें आ रही हैं। उल्लेखनीय है कि कश्मीर में इस साल सेब की भारी फसल हुई है। इस साल सेब की 12 मीट्रिक टन से अधिक पैदावार होने की उम्मीद है। यह भी बताया जा रहा है कि ईरान से कम कीमत वाले सेब के आयात ने कश्मीरी विक्रेताओं को अपने उत्पाद की कीमत कम करने के लिए मजबूर कर दिया है जिससे वह पहले ही बहुत परेशान हैं। बहरहाल, उम्मीद है कि अब जब यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है तो शायद प्रशासन इस समस्या का जल्द समाधान निकाले।
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