कश्मीर में शांतिपूर्ण बने हुए हैं हालात

श्रीनगर। अलगाववादियों के हड़ताल के आह्वान को तवज्जो नहीं देते हुए ज्यादा संख्या में लोग घरों से निकले जिसके चलते वाहनों की आवाजाही में भी इजाफा हुआ। अधिकारियों ने बताया कि शहर के कई इलाकों में निजी वाहनों की लंबी कतारें देखी गई। यहां लगभग चार महीने तक हड़ताल के कारण जनजीवन प्रभावित रहा है और अब धीरे-धीरे लोगों की जिंदगी रफ्तार पकड़ रही है। शहर में यातायात में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। ऐसे में यातायात को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए पुलिसकर्मियों को महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात किया गया है। सिविल लाइन्स और शहर के बाहरी इलाकों में कई दुकानें भी खुली। व्यावसायिक केंद्र लाल चौक के इर्द-गिर्द रेहड़ी पटरी वालों ने अपने-अपने खोमचे लगाए। एक अधिकारी ने बताया कि यहां हर दिन लोगों और वाहनों की आवाजाही में इजाफा देखने के मिल रहा है। लेकिन अलगाववादी समर्थित हड़ताल के कारण बाकी की घाटी में जनजीवन अब भी प्रभावित हो रहा है। उन्होंने बताया कि पूरे कश्मीर में लोगों की आवाजाही पर कहीं भी प्रतिबंध नहीं लगा हुआ है लेकिन कानून-व्यवस्था को कायम रखने की खातिर पूरी घाटी में चार सा अधिक लोगों के एकसाथ जुटने पर पाबंदी जरूर है।
एहतियाती तौर पर प्रमुख मार्गों और संवदेनशील स्थानों पर बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। आम जनता अपनी रोजमर्रा की गतिविधियां बिना खौफ के कर सकें और उनमें सुरक्षा की भावना बनाई रखी जा सके इसलिए बाजार के इलाकों में बल को तैनात किया गया है। दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और फ्यूल स्टेशन अब भी बंद हैं लेकिन इनके मंगलवार शाम तक खुलने की संभावना है क्योकि अलगाववादियों ने बंद में मंगलवार शाम पांच बजे से 14 घंटे की ढील दी है। इस हफ्ते हड़ताल में अंतिम बार छूट दी जा रही है। कश्मीर में जारी अशांति के कारण कारोबार तथा पर्यटन प्रभावित हो रहा है। साथ ही, यहां शैक्षणिक संस्थानों के बंद रहने के कारण शिक्षा भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। यहां अब तक दो पुलिसकर्मियों समेत 85 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई हजार घायल हैं। यहां झड़पों में सुरक्षा बलों के लगभग 5,000 जवान भी घायल हुए हैं।
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