केरल सरकार ने पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारत’ करने के प्रस्ताव का विरोध किया

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उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह देश का नाम बदलकर भारत करने की कोशिश कर रहा है क्योंकि विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम ‘‘इंडिया’’ रखा गया है। एनसीईआरटी की उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष सी.आई. आइजक के अनुसार, समिति ने पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल, ‘प्राचीन इतिहास’ के स्थान पर ‘क्लासिकल हिस्ट्री’ शुरू करने, सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) शुरू करने की सिफारिश की गई है। हालांकि, एनसीईआरटी के अध्यक्ष दिनेश सकलानी ने कहा कि समिति की सिफारिशों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

केरल की वामपंथी सरकार ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में ‘‘इंडिया’’ की जगह ‘‘भारत’’ शब्द का इस्तेमाल करने संबंधी एनसीईआरटी की समिति के सुझाव का बृहस्पतिवार को कड़ा विरोध किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने आरोप लगाया कि यह एक छिपे हुए एजेंडे के साथ ‘‘संकीर्ण राजनीति’’ का हिस्सा है, जिसे राज्य किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं कर सकता। स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा नियुक्त सामाजिक विज्ञान की एक उच्च-स्तरीय समिति ने देशभर में सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में ‘‘इंडिया’’ के स्थान पर ‘‘भारत’’ करने की सिफारिश की है। शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केरल देश का नाम बदलने की समिति की सिफारिश को अस्वीकार कर देगा।

उन्होंने कहा कि जानबूझकर समूचे पाठ्यक्रम का ‘‘भगवाकरण’’ करने का प्रयास किया गया है, जिससे नयी पीढ़ी को देश के प्रामाणिक इतिहास को जानने का अवसर नहीं मिला। शिवनकुट्टी ने आरोप लगाया कि पाठ्यक्रम का राष्ट्रीय स्तर का यह संशोधन लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक नागरिक को संविधान में उल्लिखित इंडिया या भारत शब्द का इस्तेमाल करने का अधिकार है।’’ उन्होंने सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि पाठ्यपुस्तक में केवल ‘‘भारत’’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहना ‘‘छिपे हुए एजेंडे और संकीर्ण राजनीति’’ का हिस्सा है और केरल इसे स्वीकार नहीं कर सकता। मंत्री ने आरोप लगाया कि एक संघीय देश में महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले राज्यों की राय भी मांगी जानी चाहिए, लेकिन देश में अब ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि जब पिछले पाठ्यक्रम संशोधन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर ‘‘इतिहास को विकृत करने’’ का इसी तरह प्रयास हुआ था तो केरल ने ‘‘अकादमिक’’ रूप से जवाब दिया था।

उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि स्कूल जाने की उम्र वाले 33 करोड़ बच्चों में से केवल 25 करोड़ ही वास्तव में शैक्षणिक संस्थानों में जाते हैं और शेष बच्चे विभिन्न कारणों से स्कूलों में नहीं जा पाते। मंत्री ने कहा कि चूंकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची का विषय है, इसलिए राज्य को उस क्षेत्र में अपना निर्णय लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि अगर एनसीईआरटी अपनी पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से बच्चों के सामने ‘असंवैधानिक, अवैज्ञानिक और वास्तविक इतिहास को विकृत करने वाली’ सामग्री प्रस्तुत करने का इरादा रखता है, तो केरल अकादमिक बहस उठाकर इसका बचाव करेगा।

उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह देश का नाम बदलकर भारत करने की कोशिश कर रहा है क्योंकि विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम ‘‘इंडिया’’ रखा गया है। एनसीईआरटी की उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष सी.आई. आइजक के अनुसार, समिति ने पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल, ‘प्राचीन इतिहास’ के स्थान पर ‘क्लासिकल हिस्ट्री’ शुरू करने, सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) शुरू करने की सिफारिश की गई है। हालांकि, एनसीईआरटी के अध्यक्ष दिनेश सकलानी ने कहा कि समिति की सिफारिशों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

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