जानिए कौन हैं DMK के ‘स्टालिन’, विरोधियों को सियासी पटखनी देने में माहिर

DMK Stalin
अभिनय आकाश । Feb 28 2022 7:51PM

करूणानिधि जब 2006-11 के दौरान मुख्यमंत्री थे तो सरकार में उन्हें जिम्मेदारियां भी क्रमिक रूप से मिलती गईं। थाउजेंड लाइट्स निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने जाने के बाद उनका विधायी करियर 1989 में शुरू हुआ।

मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन का जन्म 1 मार्च 1953 को तमिलनाडु के प्रमुख द्रविड़ नेता और पांच बार मुख्यमंत्री रहे, कलैग्नर एम करुणानिधि और उनकी दूसरी पत्नी दयालू अम्मल के तीसरे बेटे के रूप में हुआ। अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए एमके स्टालिन ने 1973 में कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करते ही सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। पार्टी के अंदर उनका कद धीरे-धीरे बढ़ता चला गया और करूणानिधि जब 2006-11 के दौरान मुख्यमंत्री थे तो सरकार में उन्हें जिम्मेदारियां भी क्रमिक रूप से मिलती गईं। थाउजेंड लाइट्स निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने जाने के बाद उनका विधायी करियर 1989 में शुरू हुआ। 

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1996 वे चेन्नई के मेयर चुने गए। 2009 में उन्हें डिप्टी सीएम के रूप में पदोन्नत किया गया था, जबकि उनके पिता एम करुणानिधि राज्य के मुख्यमंत्री थे। मदुरै में रह रहे अपने भाई एमके अलागिरी की तरफ से पेश चुनौतियों से भी उन्होंने सफलतापूर्वक पार पा लिया और नीचे से लेकर ऊपर तक पूरा संगठन उनके साथ हो चला। उन्होंने अपने पिता की तरह ‘सीधे पार्टी कार्यकर्ताओं को पत्र लिखने’ की शैली अपनाई ताकि उनमें उत्साह भर सकें। 

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कावेरी डेल्टा जिलों में चाहे हाइड्रोकार्बन उत्खनन परियोजना का विरोध करना हो या संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन चलाना हो अथवा सीएए के खिलाफ ‘दो करोड़’ दस्तखत जुटाने की बात हो; स्टालिन ने केंद्र और राज्य सरकारों को घेरना जारी रखा और साथ ही पार्टी की चुनावी संभावनाओं को भी मजबूत करते रहे। केंद्र के कृषि कानून के विरोध और सरकारी स्कूल के छात्रों को मेडिकल में नामांकन में साढ़े सात फीसदी आरक्षण के राज्य के विधेयक पर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा हस्ताक्षर करने के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर में राजभवन के पास रैली आयोजित करने से लोगों के बीच एक सकारात्मक संदेश गया और छह अप्रैल को अगली सरकार के चयन के लिए हुए मतदान में इसका असर भी दिखा। 

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स्टालिन के नेतृत्व में 2019 के लोकसभा चुनावों में द्रमुक ने राज्य में 39 में से 38 सीटों पर जीत हासिल की। विधानसभा चुनावों में भी द्रमुक ने इसी तरह की जीत हासिल की जब पार्टी एवं इसके सहयोगियों ने 234 में से 159 सीटों पर अपना परचम लहराया। अन्नाद्रमुक और उसके सहयोगियों को केवल 75 सीटों पर जीत हासिल हो सकी।

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