तमिलनाडु शहरी निकाय चुनाव 2022! अधिक मजूबत हुआ द्रमुक, अन्नाद्रमुक की स्थिति और बिगड़ी

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तमिलनाडु में संपन्न शहरी निकाय चुनाव ने राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक को अपनी स्थिति सुदृढ करने, और मजबूत तथा बड़े राजनीतिक दल के रूप में सामने आने का अवसर दिया है। साथ ही इन चुनावों ने राज्य में विपक्षी दल अन्नाद्रमुक की स्थिति और नाजुक बना दी है।

चेन्नई। तमिलनाडु में संपन्न शहरी निकाय चुनाव ने राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक को अपनी स्थिति सुदृढ करने, और मजबूत तथा बड़े राजनीतिक दल के रूप में सामने आने का अवसर दिया है। साथ ही इन चुनावों ने राज्य में विपक्षी दल अन्नाद्रमुक की स्थिति और नाजुक बना दी है। इस साल हुए चुनाव में दशक भर सत्ता में रहने के बाद बाहर हुए अन्नाद्रमुक की स्थिति और खराब हुई है, जबकि राज्य में भाजपा के प्रभाव में विस्तार हुआ है। राज्य में शहरी निकाय चुनाव के लिए मतदान 19 फरवरी को हुए और 22 फरवरी को परिणाम की घोषणा हुई। इसमें द्रमुक को मिली जीत का पूरा-पूरा श्रेय मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के नौ महीने के सुशासन को दिया जा रहा है।

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द्रमुक के प्रवक्ता ए. सरवनन ने कहा, ‘‘द्रमुक की अभूतपूर्व जीत मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की कल्याणकारी नीतियों और सुशासन पर मुहर है। देश के तमाम मुख्यमंत्रियों के बीच वह आदर्श और लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन गए हैं।’’ पार्टी की अभूतपूर्व जीत पर एक वरिष्ठ नेता ने पीटीआई/से कहा , ‘‘अन्नाद्रमुक ने आरोप लगाया कि द्रमुक ने अपने चुनावी वादे पूरे नहीं किए हैं। हमारे मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट कार्ड पेश किया, जिसे जनता ने स्वीकार किया और अन्नाद्रमुक को खारिज कर दिया।’’ संभवत: स्टालिन एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो चुनाव के दौरान राज्य का व्यापक दौरा किए बगैर अपनी पार्टी को जीत दिलाने में कामयाब हुए हैं।

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वहीं, अन्नाद्रमुक के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हार अस्थाई है। कैडर और जनता अभी भी हमारे साथ है। अगले विधानसभा चुनाव में हम वापसी करेंगे।’’ द्रमुक के एक वरिष्ठ नेता ने अन्नाद्रमुक के नेताओं पर पार्टी के स्थान पर सिर्फ अपनी चिंता करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए ऐसी अपमानजनक हार हुई है। उनके नेताओं को आत्ममंथन करना चाहिए।’’ तमिलनाडु में अपनी जगह नहीं बना पाने के कांग्रेस के तंज को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झूठ साबित कर दिया है। राज्य में भाजपा के महासचिव कारू नागराजन ने कहा कि उनकी पार्टी ने कुछ दलों के ‘‘धन और बाहुबल’’ के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जनता का विश्वास हासिल किया। उन्होंने दावा किया, ‘‘कई वार्ड में हम (भाजपा) सत्तारूढ़ द्रमुक के बाद दूसरे नंबर पर, जबकि कई अन्य में द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बाद तीसरे स्थान पर रहे। राज्य में हमारा मतप्रतिशत 8 से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया और चेन्नई में यह 3 फीसदी से बढ़कर 8.04 फीसदी हो गया है।’’ उन्होंने कहा कि अंतिम समय में अकेले दम पर चुनाव लड़ने के बावजूद इसमें भाजपा का विकास नजर आया है। ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन काउंसिल चुनाव में 200 में से द्रमुक को 153 सीटें मिली हैं, वहीं विपक्षी दल अन्नाद्रमुक को महज 15 सीटें मिली हैं। द्रमुक के सहयोगियों में कांग्रेस को 13, माकपा और वीसीके को 4-4, एमडीएमके को दो जबकि भाकपा और आईयूएमएल को एक-एक सीटें मिली हैं। पांच निर्दलीय के अलावा भाजपा और एएमएमके को भी एक-एक सीटें मिली हैं। विपक्षी दल (अन्नाद्रमुक) सभी 21 शहरी स्थानीय निकायों में जीत दर्ज करने में असफल रही है, उसे द्रमुक के हाथों हार मिली है।

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