बारूदी सुरंगें बनी हुई हैं सुरक्षा बलों के लिए परेशानी का सबब

Landmines are trouble for security forces
[email protected] । Jul 24 2017 3:56PM

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में बारूदी सुरंग सुरक्षा बलों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं। इस क्षेत्र में पिछले लगभग आठ वर्षों में 12 सौ से भी ज्यादा प्रेशर बम बरामद किए गए हैं।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में बारूदी सुरंग सुरक्षा बलों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं। राज्य के इस क्षेत्र में पिछले लगभग आठ वर्षों में 12 सौ से भी ज्यादा प्रेशर बम बरामद किए गए हैं। वहीं इसकी चपेट में आने से 60 से भी ज्यादा जवानों की मौत हुई है। पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2010 से 30 जून, 2017 तक राज्य के बस्तर क्षेत्र से सुरक्षा बलों ने 1,232 बारूदी सुरंग बरामद किये हैं। वहीं इस दौरान बारूदी सुरंग विस्फोट की घटनाओं में सुरक्षा बलों के 66 जवान शहीद हुए हैं तथा 205 जवान घायल हुए हैं।

दंतेवाड़ा रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया कि नक्सली सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए ज्यदातर प्रेशर बमों का सहारा लेते हैं। वह अनजान जगहों पर प्रेशर बम लगाते हैं जिसकी चपेट में आने से जवानों को नुकसान पहुंचता है। कई बार आम लोग भी इसकी चपेट में आते हैं। ऐसी जगहों पर प्रेशर बमों को खोजकर उन्हें नष्ट करने का अभियान चलाना मुश्किल होता है। सुंदरराज ने बताया कि हालांकि बीते कुछ वर्षों में प्रेशर बमों या बारूदी सुरंगों की वजह से सुरक्षा बलों को कम नुकसान पहुंचा है क्योंकि क्षेत्र में लगातार बम हटाने का अभियान चलाया जा रहा है।

बारूदी सुरंगों की पहचान या उनकी खोज के लिए उन्नत तकनीक की जरूरत के सवाल पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में सुरक्षा बल के पास बारूदी सुरंगों की खोज के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध हैं। तकनीक में सुधार की संभावना हमेशा बनी रहती है। पुलिस विभाग से मिली जानकारी ​के मुताबिक 2017 के पहले छह महीने में बस्तर क्षेत्र में विस्फोट की 31 घटनाओं में सुरक्षा बलों के 22 जवान घायल हुए हैं। वहीं इस दौरान सुरक्षा बलों ने 170 बम बरामद किये हैं, जिनमें पाईप बम और प्रेशर बम आदि शामिल हैं।

पुलिस उप महानिरीक्षक सुंदरराज पी. बताते हैं कि बस्तर क्षेत्र में बारूदी सुरंग पुलिस के चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए विस्फोटकों को नक्सलियों तक पहुंचने से रोकना जरूरी है। पुलिस लगातार इस संबंध में कार्रवाई कर रही है। सुंदरराज बताते हैं कि पुलिस का प्रयास रहता है कि नक्सलियों तक विस्फोटक ना पहुंच सके। लेकिन खदानों से भारी मात्रा में विस्फोटकों की लूट की घटनाओं के कारण नक्सलियों को विस्फोटक मिल जाता है। उन्होंने बताया कि इन घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए पर्याप्त उपाय किए जा रहे हैं। नक्सली सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए ही बारूदी सुरंग का इस्तेमाल करते हैं।

इस धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कई बारूदी सुरंग ऐसे हैं ​जो वर्षों से जमीन के नीचे दबे हुए हैं। नक्सली अक्सर इन बमों को राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य की महत्वपूर्ण सड़कों और सुरक्षा बलों के ​शिविरों के करीब लगाते हैं। पिछले वर्ष मार्च महीने में दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर सुरक्षा बलों के वाहन को उड़ा दिया था। इस घटना में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हो गए थे। वहीं वर्ष 2015 में दंतेवाड़ा जिले में ही नक्सलियों ने विस्फोट से एंटी लैंडमाईन वाहन को उड़ा दिया था। इस घटना में पांच जवान शहीद हुए थे तथा सात अन्य घायल हुए थे। इन क्षेत्रों में बारूदी सुरंग की खोज के लिए पुलिस दल लगातार अभियान चलाती है। इसके लिए क्षेत्र में प्रशिक्षित अधिकारी कर्मचारी तैनात हैं जो बेहतर तकनीक और स्नीफर डाग का भी सहारा लेते हैं।

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