माघी पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी

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[email protected] । Feb 19 2019 11:18AM

शाही स्नान नहीं होने के बावजूद माघी पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा और महा शिवरात्रि की तरह ही एक ‘पर्व स्नान’ कहा जाता है और यह कुंभ के दौरान होने वाले छह महत्वपूर्ण स्नान दिवसों का हिस्सा है।

प्रयागराज। ‘हर हर महादेव’ और ‘गंगा मैया की जय’ के उद्घोष के साथ लाखों श्रद्धालुओं ने माघी पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गंगा, यमुना और पौराणिक गाथाओं में वर्णित सरस्वती नदियों के संगम पर डुबकी लगाई। कल्पवासी तीर्थयात्रियों के लिए माघी पूर्णिमा को महीने भर चलने वाली तपस्या का समापन माना जाता है। एक बुजुर्ग साधु ने बताया, ‘आमतौर पर कल्पवासियों से तात्पर्य प्रयाग कुंभ मेले में आने वाले आस्थावान श्रद्धालुओं से होता है। वे एक महीने तक गंगा के तट पर रह कर, बेहद कठोर नियमों के साथ जीवन जीने का संकल्प लेते हैं।’

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उन्होंने बताया कि आज के दिन पवित्र स्नान करने के बाद वे अपने अपने घर वापस लौट जाएंगे। तड़के चार बजे से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने पवित्र स्नान शुरू कर दिया। कुंभ नगरी के लिए बनाए गये अस्थायी उपनगर परिसर में वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध है। स्नान के बाद अपने कपड़े सुखाने में व्यस्त पठानकोट के आदित्य लंगर ने बताया कि मैंने देखा है कि ज्यादातर लोग दिन में देर से आते हैं। इसलिए लगा कि तड़के ही स्नान कर लेना चाहिए। दूर-दराज के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं को माघी पूर्णिमा पर कुंभ मेले में लाने के लिए प्रशासन ने 49 विशेष ट्रेनें और 2500 बसें चलाई हैं।

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शाही स्नान नहीं होने के बावजूद माघी पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा और महा शिवरात्रि की तरह ही एक ‘पर्व स्नान’ कहा जाता है और यह कुंभ के दौरान होने वाले छह महत्वपूर्ण स्नान दिवसों का हिस्सा है। ऐसा माना जाता है कि शुभ दिन पर गंगा में स्नान करने पर सभी पाप धुल जाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को माघी पूर्णिमा पर सार्वनजिक अवकाश की घोषणा की थी। प्रशासन के मुताबिक, दिन भर में 1.50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पवित्र स्नान करने का अनुमान है। भीड़ के प्रबंधन के लिए 40 स्नान घाटों का निर्माण किया गया है। 21 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर संगम इलाके में 1.07 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई थी।

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