जेएनयू के 4 छात्रों के खिलाफ कार्रवाई पर वामदलों का विरोध

जवाहर लाल नेहरू विवि द्वारा तीन छात्रों को निष्कासित किए जाने और कन्हैया कुमार पर जुर्माना लगाए जाने का मुद्दा राज्यसभा में उठाते हुए वाम दलों ने इसे प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करार दिया।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा तीन छात्रों को निष्कासित किए जाने और छात्र संघ नेता कन्हैया कुमार पर जुर्माना लगाए जाने का मुद्दा आज राज्यसभा में उठाते हुए वाम दलों ने इसे प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करार दिया। उच्च सदन में माकपा के तपन कुमार सेन ने कहा कि उन्होंने जेएनयू प्राधिकारियों की ‘‘अहंकारपूर्ण और अलोकतांत्रिक’’ कार्रवाई के गंभीर मुद्दे पर चर्चा करने के उद्देश्य से कार्यवाही निलंबित करने के लिए नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया है।

सेन ने कहा कि जेएनयू प्रशासन ने फरवरी के घटनाक्रम के सिलसिले में तीन छात्रों- उमर खालिद को एक सेमेस्टर के लिए, अनिर्वाण भट्टाचार्य को 15 जुलाई तक और कश्मीरी छात्र मुजीब गट्टू को दो सेमेस्टर के लिए निलंबित कर दिया और छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर 10,000 रूपये का जुर्माना लगाया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह गलत और प्रतिशोधात्मक है। उन्होंने सरकार पर नागरिकों के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया और कहा कि संविधान के नाम पर संविधान के साथ ही छेड़छाड़ की जा रही है।

भाकपा के डी राजा ने कहा कि झूठे और छेड़छाड़ से तैयार किए गए वीडियो के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रतिशोधात्मक रवैया अपनाते हुए छात्रों को निष्कासित किया है और संसद मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती। राजा ने विश्वविद्यालय के बारे में कुछ टिप्पणी की जिसे उप सभापति पीजे कुरियन ने यह कहते हुए कार्यवाही से निकाल दिया कि संस्थान का कोई प्रतिनिधि उसका पक्ष रखने के लिए यहां मौजूद नहीं है और कठोर शब्दों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि संस्थान की कार्रवाई से छात्रों का भविष्य संकट में पड़ गया है। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा ‘‘हमारे सहयोगियों ने जो कुछ कहा उससे हम पूरी तरह सहमत हैं और उनका समर्थन करते हैं। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा ‘‘एक के बाद एक कर विश्वविद्यालयों के माहौल को खराब किया जा रहा है जिससे हम चिंतित हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय शामिल है।

इसी दौरान कांग्रेस सदस्यों ने उत्तराखंड में अपनी पार्टी की सरकार को बर्खास्त करने का मुद्दा उठाया और आसन के समक्ष आ कर नारेबाजी करने लगे जिसके चलते आसन सेन के नोटिस पर कोई व्यवस्था नहीं दे पाया।

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