गीता की शाश्वत शिक्षाओं को मार्गदर्शक बनाएं: Vice President Dhankhar
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राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए श्रीमद्भगवद्गीता की उन शिक्षाओं की तुलना की, जब भगवान कृष्ण कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को ज्ञान प्रदान करते हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को नागरिकों से आग्रह किया कि वे देश के हितों को सर्वोपरि रखें और श्रीमद्भगवद्गीता की शाश्वत शिक्षाओं को अपना मार्गदर्शक बनाएं।
धनखड़ ने अनिश्चितता के बीच एक मार्गदर्शक के रूप में गीता के कालातीत ज्ञान को रेखांकित करते हुए कहा कि गीता उन्नति, आध्यात्मिकता, धार्मिकता, अपने कर्तव्य के लिए प्रतिबद्धता का मार्ग दिखाती है।
उन्होंने गीता पर लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप की टिप्पणी के विमोचन के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने संविधान के भाग चार के तहत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए श्रीमद्भगवद्गीता की उन शिक्षाओं की तुलना की, जब भगवान कृष्ण कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को ज्ञान प्रदान करते हैं।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, धनखड़ ने उस समय का जिक्र किया जब आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) और विश्व बैंक जैसे वैश्विक निकाय राष्ट्रीय मामलों के संबंध में भारत पर दबाव डालते थे। धनखड़ ने बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा एवं ब्राजील जैसी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन चुका है।
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