दुनिया को साथ मिलकर आतंकवाद से लड़ने की जरूरत: एमजे अकबर

M. J. Akbar says World needs to fight terrorism collectively
[email protected] । Sep 24 2017 12:01PM

भारत के विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर का कहना है कि फिलहाल आतंकवाद दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है और उससे बिना किसी ‘‘समझौते’’ के सभी को साथ मिलकर उससे लड़ने की जरूरत है।

नयी दिल्ली। भारत के विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर का कहना है कि फिलहाल आतंकवाद दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है और उससे बिना किसी ‘‘समझौते’’ के सभी को साथ मिलकर उससे लड़ने की जरूरत है। अकबर ने हाल ही में यहां आयोजित एक कार्यक्रम ‘‘चेंजिंग एशिया 2017’’ में यह टिप्पणी की। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने सवाल किया, ‘‘ हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि समृद्धि शांति के बगैर संभव नहीं है, जो कि वाकई नहीं है, ऐसे में कौन सबसे बड़ी समकालीन चुनौती है, आधुनिक युग में शांति के लिए सबसे बड़ी चुनौती कहां से उत्पन्न हो रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह चुनौती आतंकवाद से आ रही है इसलिए आपको बिना किसी शंका के आतंकवाद से लड़ना होगा, संभवत: हमारे यूरोपीय मित्रों के लिए इस विचार के साथ घर लौटना ज्यादा उपयोगी होगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कहीं कोई संदेह नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप पहले भी आतंकवाद के प्रभावों को भुगत चुके हैं, और आतंकवाद 21वीं सदी की सबसे खतरनाक चुनौती है, इसलिए ब्रिक्स का प्रस्ताव है।’’ वह पांच सदस्यीय समूह ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के नेताओं द्वारा पारित प्रस्ताव की बात कर रहे थे।

इस प्रस्ताव में आतंकवाद की घोर निंदा की गयी है और इस माह के शुरू में चीन में हुए सम्मेलन में संयुक्त रूप से जारी बयान में पहली बार पाक स्थित आतंकी समूहों ... लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश ए मुहम्मद का नाम लिया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने वालों, उनका आयोजन करने वालों और उन्हें समर्थन देने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के बीच न्यूयॉर्क में हुई बैठक के बाद सभी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर प्रतिबद्धता जतायी थी।

अकबर ने यह भी कहा कि आतंकवाद से लड़ रहे अमेरिका की ओर से एक स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है ‘‘यह संदेश इस सदी में प्रतिध्वनित होगा। इससे मित्र नहीं बदलेंगे, इससे रणनीतिक संबंध नहीं बदलेंगे लेकिन उम्मीद है कि इससे आचरण में बदलाव जरूर आएगा।’’

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