तीन नए आपराधिक कानूनों का ममता बनर्जी ने किया विरोध, प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर की रोकने की मांग की

Mamata Banerjee
ANI
अंकित सिंह । Jun 21 2024 7:56PM

ममता बनर्जी ने लिखा कि हमारा मानना ​​है कि यह स्थगन नए सिरे से संसदीय समीक्षा/जनादेश को सक्षम करेगा, कानूनी प्रणाली में जनता के विश्वास को मजबूत करेगा और हमारे प्यारे देश में कानून के शासन को कायम रखेगा। 25 दिसंबर, 2023 को भारत के राष्ट्रपति ने बीएनएस, बीएसए और बीएनएसएस को सहमति दी।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तीन आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता - के कार्यान्वयन को स्थगित करने का अनुरोध किया है। बनर्जी ने इन पर संसद में आगे चर्चा की मांग की है। इसके साथ ही ममता ने आपराधिक कानूनों की नये सिरे से संसदीय समीक्षा पर जोर दिया। इन कानूनों के आसन्न कार्यान्वयन पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ने कहा कि मैं आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय सुरक्षा अधिनियम (बीएसए) 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा स्वच्छता (बीएनएसएस) 2023 के कार्यान्वयन को स्थगित करने की हमारी अपील पर विचार करें। 

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ममता बनर्जी ने लिखा कि हमारा मानना ​​है कि यह स्थगन नए सिरे से संसदीय समीक्षा/जनादेश को सक्षम करेगा, कानूनी प्रणाली में जनता के विश्वास को मजबूत करेगा और हमारे प्यारे देश में कानून के शासन को कायम रखेगा। 25 दिसंबर, 2023 को भारत के राष्ट्रपति ने बीएनएस, बीएसए और बीएनएसएस को सहमति दी। जैसा कि अधिसूचित किया गया है, ये नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से प्रभावी होने हैं। नए कानून क्रमशः औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, टीएमसी प्रमुख ने बृहस्पतिवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम से भी मुलाकात की, जो विधेयकों की जांच करने वाली संसद की स्थायी समिति का हिस्सा थे, और उनसे इस मुद्दे पर चर्चा की। टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन, द्रमुक नेता एनआर एलंगो और चिदंबरम ने तीनों विधेयकों पर अपनी रिपोर्ट में असहमति जताई थी। ममता ने कहा कि ये तीनों विधेयक लोकसभा में ऐसे समय में पारित हुए, जब 146 सांसद सदन से निलंबित थे। ममता ने कहा, आपकी पिछली सरकार ने इन तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को एकतरफा और बिना किसी बहस के पारित कर दिया था। उस दिन, लोकसभा के लगभग 100 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था और दोनों सदनों के कुल 146 सांसदों को संसद से बाहर निकाल दिया गया था।

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उन्होंने कहा, लोकतंत्र के उस काले दौर में विधेयकों को तानाशाहीपूर्ण तरीके से पारित किया गया। मामले की अब समीक्षा होनी चाहिए। ममता ने कहा, मैं अब आपके कार्यालय से आग्रह करती हूं कि कम से कम कार्यान्वयन की तारीख को आगे बढ़ाने पर विचार करें। इसके दो कारण हैं: नैतिक और व्यावहारिक। उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण विधायी बदलावों पर नये सिरे से विचार-विमर्श होना चाहिए और जांच के लिए नव निर्वाचित संसद के समक्ष रखा जाना चाहिए। टीएमसी प्रमुख ने कहा, जल्दबाजी में पारित किए गए नये कानूनों को लेकर सार्वजनिक रूप से व्यक्त की गई व्यापक आपत्तियों के मद्देनजर नये सिरे से संसदीय समीक्षा लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगी। 

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