सेना प्रमुख की चेतावनी: आधुनिक युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, बुद्धि-नैतिकता से जीते जाएंगे

सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि अब युद्ध आमने-सामने नहीं, बल्कि गैर-गतिज और गैर-संपर्क तरीके से लड़े जा रहे हैं। इस बदलते परिदृश्य के लिए सैन्य शक्ति, बौद्धिक कौशल और नैतिक तैयारी की आवश्यकता पर बल दिया गया, साथ ही युवाओं को थिंक टैंक और युद्धक्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को कहा कि युद्ध अब "गैर-गतिज और गैर-संपर्क" होता जा रहा है और इसलिए इसके लिए ऐसी प्रतिक्रिया की आवश्यकता है जिसके लिए सैन्य शक्ति, बौद्धिक कौशल और नैतिक तैयारी की आवश्यकता हो।
'युद्ध के तरीके बदल रहे हैं, अब आमने-सामने नहीं लड़े जाते युद्ध'
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि युद्ध के तरीके लगातार बदल रहे हैं और अब ये आमने सामने नहीं लड़े जाते, इसलिए इनका सामना करने के लिए सैन्य शक्ति, बौद्धिक क्षमता और न्यायसंगत तैयारी की आवश्यकता है। सेना प्रमुख ने लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि युवाओं को थिंक टैंक, प्रयोगशालाओं और युद्धक्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
भाषण में युद्ध की बदलती प्रकृति
केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने भी सेना और रक्षा थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज’ द्वारा आयोजित ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग: यंग लीडर्स फोरम’ में सैन्य अधिकारियों, छात्रों और रक्षा विशेषज्ञों को संबोधित किया। सेना प्रमुख ने अपने भाषण में युद्ध की बदलती प्रकृति और इस परिदृश्य में आवश्यक तैयारी पर ज़ोर दिया।
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उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध में भाग-दौड़ अब नहीं होती और यह संपर्क-रहित होता जा रहा है’’ और इसलिए इसका सामना करने के लिए सैन्य शक्ति, बौद्धिक कौशल और न्यायसंगत तैयारी की आवश्यकता है।’’ ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया ब्रीफिंग में शामिल होती रहीं कर्नल सोफिया कुरैशी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थीं। कार्यक्रम में घोषणा की गई कि चाणक्य रक्षा संवाद 2025 नवंबर (27-28) में आयोजित किया जाएगा जिसका विषय ‘‘सुधार से परिवर्तन: सशक्त और सुरक्षित भारत’ होगा।
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