गुजरात में ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टियों के लिए अल्पसंख्यक वोट एक बड़ा आकर्षण
गुजरात में अल्पसंख्यक वोटों को लेकर हलचल तेज हो गई है क्योंकि राज्य की मुस्लिम आबादी के पास वोट देने के लिए 2022 के विधानसभा चुनावों में ‘धर्मनिरपेक्ष’ दलों के अधिक विकल्प हैं। राज्य में दो दशकों से अधिक समय से शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मुस्लिम मतदाताओं के लिए एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में नहीं देखा जाता है।
(पराग दवे) अहमदाबाद, 15 अगस्त। गुजरात में अल्पसंख्यक वोटों को लेकर हलचल तेज हो गई है क्योंकि राज्य की मुस्लिम आबादी के पास वोट देने के लिए 2022 के विधानसभा चुनावों में ‘धर्मनिरपेक्ष’ दलों के अधिक विकल्प हैं। पूर्व के चुनावों में कांग्रेस को गुजरात में मुस्लिम वोटों के लिए एकमात्र प्रमुख दावेदार माना जाता था, लेकिन इस बार मुख्य विपक्षी दल को अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए छोटे संगठनों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
राज्य में दो दशकों से अधिक समय से शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मुस्लिम मतदाताओं के लिए एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में नहीं देखा जाता है। लेकिन गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में दो दर्जन से अधिक सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी उपस्थिति है। कांग्रेस को इस समाज से समर्थन हासिल करने के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) समेत कुछ अन्य दलों से मुकाबला करना पड़ सकता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने मुस्लिम वोटों को पार्टी के साथ बनाए रखने के लिए 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दिए गए एक विवादास्पद बयान को दोहराया, जिसमें कहा गया था कि अल्पसंख्यकों का देश के संसाधनों पर ‘‘पहला हक’’ बनता है। जुलाई में ठाकोर की टिप्पणी पर दक्षिणपंथी संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी, जिन्होंने उन पर वोट के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया था। बाद में कांग्रेस ने दावा किया कि ठाकोर के बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया।
एआईएमआईएम प्रमुख और लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) भी समुदाय को लुभाने के लिए चुपचाप काम कर रही है। गैर राजनीतिक संगठन अल्पसंख्यक समन्वय समिति के संयोजक मुजाहिद नफीस ने कहा, ‘‘पिछले चुनाव (2017) तक मुसलमानों के पास कोई विकल्प नहीं था क्योंकि गुजरात में लड़ाई दो दलों (कांग्रेस और भाजपा) के बीच रही है। अब, 2022 के चुनावों के लिए और अधिक राजनीतिक दल यहां आए हैं।
लोकतंत्र में बहुकोणीय चुनावी मुकाबला अच्छी बात है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इससे गुजरात के मुसलमानों को हल्के में लेने का रवैया खत्म हो जाएगा जो अब तक हुआ करता था। लोगों के पास और विकल्प होंगे। यह ऐसी स्थिति है कि हर पार्टी आकर हमसे वोट मांगेगी।’’ ओवैसी ने राज्य में अपनी पिछली जनसभाओं के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस, दोनों पर राज्य में अल्पसंख्यकों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था।
एआईएमआईएम नेता ने विशेष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी ने अल्पसंख्यक समुदाय के साथ महज वोट बैंक जैसा व्यवहार किया है। ओवैसी ने हाल के दिनों में तीन बार राज्य का दौरा किया और अहमदाबाद, दहेगाम तथा कच्छ की यात्रा की, जहां अल्पसंख्यक आबादी केंद्रित है। चुनाव दर चुनाव मिले मुस्लिम वोटों को बनाए रखने के प्रयास के तहत कांग्रेस ने हाल में अपने विधायक कादिर पीरजादा को गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है।
पीरजादा की नियुक्ति के बाद उनका अभिनंदन करने के लिए 20 जुलाई को आयोजित एक कार्यक्रम में ठाकोर ने देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का ‘‘पहला हक’’ संबंधी मनमोहन सिंह के बयान को दोहराया। ठाकोर ने कहा था, ‘‘इस बयान के कारण हमें (चुनावी) नुकसान हुआ, लेकिन हम आज भी उसके साथ खड़े हैं।’’ नफीस ने कहा कि कांग्रेस का बयान साबित करता है कि उन्होंने महसूस किया है कि वे मुसलमानों को हल्के में नहीं ले सकते। उन्होंने कहा, ‘‘गुजरात के मुसलमान समावेश और संवैधानिक अधिकार चाहते हैं।’’
अल्पसंख्यक समन्वय समिति के संयोजक ने कहा कि उनका संगठन चुनाव से पहले मुस्लिम समुदाय की विभिन्न मांगों को राजनीतिक दलों के सामने रखेगा। राज्य की 6.5 करोड़ की कुल आबादी में, मुसलमानों की संख्या लगभग 11 फीसदी है और लगभग 25 विधानसभा सीटों पर उनकी अच्छी खासी उपस्थिति है। कांग्रेस की गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष पीरजादा ने कहा कि अतीत में उनकी पार्टी ने मुस्लिम मतदाताओं के भारी समर्थन से राज्य में सरकारें बनाई हैं।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘अगर 3-4 फीसदी आबादी वाला समुदाय अपने प्रतिनिधित्व की मांग कर सकता है, तो 11 फीसदी आबादी होने के नाते हमें अपने प्रतिनिधित्व की मांग क्यों नहीं करनी चाहिए?’’ प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने आप और एआईएमआईएम को भाजपा की ‘बी-टीम’ बताकर खारिज कर दिया। दोशी ने कहा, ‘‘उनका इस्तेमाल विपक्षी वोटों को विभाजित करने और भाजपा को फिर से जिताने के लिए किया जा रहा है।’’
मनीष दोशी को भरोसा है कि पहले की तरह आगामी चुनावों में भी अल्पसंख्यक समुदाय बड़ी संख्या में कांग्रेस को वोट देगा। कुछ लोगों का मानना है कि एआईएमआईएम भी इस बार अपनी छाप छोड़ सकती है। अहमदाबाद के मिर्जापुर इलाके के एक कारोबारी जावेद खान पठान ने कहा, ‘‘अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में कांग्रेस का जनाधार घट रहा है।
लोग यहां एआईएमआईएम का समर्थन कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम उम्मीदवार गुजरात की अल्पसंख्यक बहुल सीटों से जीतेंगे। अहमदाबाद के मिर्जापुर इलाके में कबाड़ व्यापारी अकबर कुरैशी ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस द्वारा अक्सर ‘‘दागी’’ उम्मीदवार मैदान में उतारे जाते हैं। कुरैशी ने कहा, ‘‘यही कारण है कि लोग दो मुख्य राजनीतिक दलों से तंग आ चुके हैं और अन्य विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होना है।
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