मोदी के 'दुष्यंत टिकट प्लान' ने मिटा दी Vasundhara Raje और BJP के बीच की नाराजगी की दीवार! लोकसभा चुनाव के बीच राजस्थान में पक रही सियासी खिचड़ी

 Vasundhara Raje
ANI
रेनू तिवारी । Mar 7 2024 12:20PM

भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए शनिवार को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिसमें राजस्थान से 15 नाम शामिल हैं। एक रणनीतिक विकल्प के रूप में समझे जाने वाले कदम में, सत्तारूढ़ दल ने 2019 के आम चुनावों में विजयी हुए कई उम्मीदवारों को बनाए रखने का विकल्प चुना है।

भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए शनिवार को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिसमें राजस्थान से 15 नाम शामिल हैं। एक रणनीतिक विकल्प के रूप में समझे जाने वाले कदम में, सत्तारूढ़ दल ने 2019 के आम चुनावों में विजयी हुए कई उम्मीदवारों को बनाए रखने का विकल्प चुना है। विशेष रूप से, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे, दुष्यंत सिंह को झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र के लिए फिर से नामांकित किया गया है, जहां वह वर्तमान में संसद सदस्य का पद संभाल रहे हैं।पिछले दिसंबर में राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए वसुंधरा राजे को किनारा किए जाने के बाद अटकलें शुरू हो गई थी कि वसुंधरा राजे और भाजपा के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा हैं। वसुंधरा राजे पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में भी शामिन नहीं हो रही थी। ऐसे में अब जब जीत की हेट्रिक लगाने वाले वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह राजे को फिर से भाजपा ने टिकट दिया है तो माना जा रहा है कि पार्टी और राजे की बीच सब कुछ ठीक हो गया हैं। दुष्यंत सिंह को टिकट मिलने के बाद से ही राजे को पार्टी के कई कार्यक्रमों में दी देखा गया।

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पहली सूची में राजस्थान की कुल 25 लोकसभा सीट में से 15 सीट के लिए उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया गया है, लेकिन इन 15 में से सात लोकसभा सीट पर नए चेहरे उतारे जाने से शेष मौजूदा सांसदों का भविष्य भी अधर में दिख रहा है। आगामी आम चुनाव में सभी 25 सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिहाज से हाईकमान के पास ‘चुनाव जीतने की क्षमता’ नामक एक कारक है जो पार्टी के लिए सर्वोपरि है। भाजपा ने शनिवार को घोषित पहली सूची में आठ मौजूदा सांसदों को बरकरार रखा है और सात सीट पर नए चेहरों को टिकट दिया है। दो सांसदों के वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद सात में से दो सीट पहले से रिक्त थीं। भाजपा की पहली सूची में बीकानेर, चूरू, सीकर, अलवर, भरतपुर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालौर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, कोटा और झालावाड़-बारां के उम्मीदवारों की घोषणा की गई है, जबकि अजमेर, भीलवाड़ा, दौसा, गंगानगर, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, झुंझुनू, करौली-धौलपुर, राजसमंद और टोंक-सवाई माधोपुर के लिए टिकटों की घोषणा का इंतजार है। 

2019 के

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लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 24 सीट जीती थीं और उसके गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने नागौर सीट से जीत दर्ज की थी। इस तरह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजद) ने सभी 25 सीट पर जीत हासिल कर ली थी। बेनीवाल की आरएलपी अब राजग की सहयोगी नहीं है और वह खुद वर्तमान में विधायक हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने दम पर सभी 25 सीट पर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने पहली सूची में तीनों केंद्रीय मंत्रियों - गजेंद्र सिंह शेखावत (जोधपुर), अर्जुन मेघवाल (बीकानेर) और कैलाश चौधरी (बाड़मेर) के साथ-साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (कोटा-बूंदी), भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. जोशी को बरकरार रखा है। लेकिन सी पी जोशी (चित्तौड़गढ़), सुमेधानंद सरस्वती (सीकर), पीपी चौधरी (पाली) और दुष्यंत सिंह (झालावाड़-बारां) का टिकट दिया गया है। जिन मौजूदा सांसदों के टिकट काटे गए हैं उनमें राहुल कस्वां (चूरू), रंजीता कोली (भरतपुर), देवजी पटेल (जालौर), अर्जुन लाल मीणा (उदयपुर) और कनकमल कटारा (बांसवाड़ा) शामिल हैं, पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता बाबा बालक नाथ के जीतने पर अलवर सीट खाली हुई है। इसी तरह आरएलपी के हनुमान बेनीवाल के विधायक बनने पर नागौर सीट खाली हुई है। 

चूरू से दो बार के सांसद राहुल कस्वां और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के बीच मतभेद साफ नजर आ रहे थे और माना जा रहा है कि अंदरूनी कलह के कारण ही उनका टिकट काटा गया है। विधानसभा चुनाव में राठौड़ की हार के लिए कस्वां को जिम्मेदार ठहराया गया था। चूरू सीट पर राहुल कस्वां की जगह पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझड़िया को नये चेहरे के रूप में टिकट दिया गया है, जबकि देवजी पटेल, जो 2023-विधानसभा चुनाव हार गए थे, की जगह लुंबाराम चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया है। इसी तरह पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुईं ज्योति मिर्धा को नागौर सीट से टिकट मिला है। टिकट पाने वाले अन्य नए लोगों में महेंद्रजीत सिंह मालवीय (बांसवाड़ा), मन्नालाल रावत (उदयपुर) और रामस्वरूप कोली (भरतपुर) का नाम शामिल है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री मालवीय भी हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे। बाबा बालकनाथ के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई अलवर सीट पर पार्टी ने राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को टिकट दिया है। 

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि टिकट तय करने के लिहाज से पार्टी के लिए ‘जीतने की क्षमता’ ही एकमात्र मानदंड है। पार्टी ने सभी 25 लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य रखा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रीय स्तर पर राजग 300 सीट के आंकड़े को पार कर जाए। उन्होंने बताया कि ‘जीतने की क्षमता’ का आकलन करने के लिए सर्वेक्षणों और विभिन्न स्तरों पर प्राप्त ‘फीडबैक’ और अन्य विभिन्न मानदंडों के तहत सांसद के व्यक्तिगत प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है और उसी के आधार पर टिकट तय करने की कवायद की गई है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बाकी सीट पर इस हफ्ते फैसला ले लिया जाएगा। शेष 10 सीट में से दो, जयपुर ग्रामीण और राजसमंद भाजपा सांसद राज्यवर्धन राठौड़ और दीया कुमारी के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई हैं। इन सीट पर नए चेहरों को टिकट दिया जाएगा। 

अजमेर सीट से सांसद भागीरथ चौधरी और झुंझुनू से सांसद नरेंद्र कुमार विधानसभा चुनाव हार गए थे और संभावना है कि उन्हें बदला जा सकता है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और पूर्व उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था और उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए टिकट मिलने की संभावना है। कयास लगाए जा रहे हैं कि राजेंद्र राठौड़ को राजसमंद से टिकट मिल सकता है और पूनिया को अजमेर या जयपुर ग्रामीण सीट से मैदान में उतारा जा सकता है।

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