मोहन भागवत ने अंतरजातीय विवाह की हिमायत की
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भागवत ने कहा, ‘‘हम इस बात पर जोर देते हैं कि स्वयंसेवकों को ऐसे सुधारात्मक उपायों के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। आमतौर पर, ऐसा होता है और ऐसा होना चाहिए।’’
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अंतरजातीय विवाहों की हिमायत की है जो आमतौर पर हिन्दू समाज में बहुत स्वीकार्य नहीं है। भागवत की यह टिप्पणी हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश चुनाव में पिछड़ी जातियों और दलितों को रिझाने के भाजपा के सक्रिय प्रयासों के बाद आई है। भागवत ने कहा, ‘‘हम इस बात पर जोर देते हैं कि स्वयंसेवकों को ऐसे सुधारात्मक उपायों के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। आमतौर पर, ऐसा होता है और ऐसा होना चाहिए।’’
उन्होंने आरएसएस समर्थक पत्रिका ‘आर्गेनाइजर’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘यदि आप एक सर्वेक्षण पर गौर करें, तो आप किसी और की तुलना में अंतरजातीय विवाह वाले स्वयंसेवकों की कहीं अधिक संख्या पाएंगे।’’ गौरतलब है कि भाजपा ने अपने ‘बनिया-ब्राह्मण टैग’ को छोड़ते हुए उप्र विधानसभा चुनाव में पिछड़ी जातियों और दलितों को बढ़ चढ़ कर रिझाया, जिसके परिणामस्वरूप उसे भारी बहुमत मिला। भागवत ने कहा कि जहां कहीं सामाजिक समानता का समर्थन करने वाले लोग सत्ता में हैं उन्हें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाना सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि यदि सरकार कोष के समय पर आवंटन और सही काम के लिए सही व्यक्ति की नियुक्ति को सुनिश्चित करती है तो यह अपने आप में एक बड़ा काम होगा। इससे 50 प्रतिशत प्रणालीगत मुद्दे हल हो जाएंगे। संघ प्रमुख ने कहा कि ये प्रावधान पहले से हैं, हमें सिर्फ उन्हें सही भावना में लागू करना होगा। हमारा मानना है कि जहां कहीं स्वयंसेवक सरकार में शीर्ष पदों पर हैं उन्हें इस पहलू पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हम सिर्फ इस पर जोर दे सकते हैं और हम इसे गंभीरता से कर रहे हैं।
गौरतलब है कि केंद्र और राज्यों में भाजपा सरकारों में कई शीर्ष पदाधिकारियों की आरएसएस की पृष्ठभूमि है। इनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल हैं।
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