Ayodhya में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब तक आए 1.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु, लाखों लोग रोज कर रहे दर्शन

ram mandir
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रितिका कमठान । Apr 22 2024 4:16PM

मंदिर में वर्तमान में सिर्फ ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा हुआ है। ग्राउंड फ्लोर पर ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। वहीं पहले फ्लोर का निर्माण कार्य अभी जारी है। मंदिर के चारों तरफ 14 फीट चौड़ी सुरक्षा की दीवार बनाई गई है, जिसे परकोटा कहा गया है।

अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा की थी। इसके बाद से ही वहां लगातार भक्तों का तांता लगा हुआ है। रोज लाखों की संख्या में भक्त रामलला के दर्शन करने पहुंच रहे है। रामलला के दर्शन करने को भक्त बेहद आतुर है। 

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय का कहना है कि राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद से अब तक लगभग देश दुनिया के 1.5 करोड़ लोगों ने रामलला के दर्शन किए है। रोजाना एक लाख से अधिक लोग राम मंदिर में आ रहे है। आंकड़ों के अनुसार 1.5 करोड़ से अधिक लोग अब तक 22 जनवरी को हुई प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अयोध्या आ चुके है।

मंदिर में वर्तमान में सिर्फ ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा हुआ है। ग्राउंड फ्लोर पर ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। वहीं पहले फ्लोर का निर्माण कार्य अभी जारी है। मंदिर के चारों तरफ 14 फीट चौड़ी सुरक्षा की दीवार बनाई गई है, जिसे परकोटा कहा गया है। 

44 दरवाजे और 392 स्तंभ
प्रभु श्रीराम के लिए भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है। मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और 161 फीट ऊंचाई है। श्रीराम का मंदिर 44 दरवाजों और 392 स्तंभों द्वारा समर्थित हैं। वहीं मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं के जटिल चित्रों को उकेरा गया है। साथ ही मंदिर के भूतल पर मुख्य गर्भग्रह में रामलला को रखा गया है। राम मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में हैं।राम मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वारा तक सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जाएगा। इसके साथ ही मंदिर में 5 मंडप हैं। जिनमें रंग मंडप, सभा मंडप, नृत्य मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप शामिल हैं। वहीं मंदिर के पास में ही एक कुआं बना है। यह कुआं ऐतिहासिक और प्राचीन काल का है। राम मंदिर के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में स्थित कुबेर के टीले में भगवान शंकर के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और पास में एक जटायू की मूर्ति स्थापित की गई है। 

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