सांसदों ने रामनाथ कोविंद को दी विदाई, राष्ट्रपति ने कहा- पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए
निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संसद में बहस और असहमति के अधिकारों का इस्तेमाल करते समय सांसदों को हमेशा गांधीवादी दर्शन का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है।
निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आज लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों ने संयुक्त रूप से विदाई दी है। संसद भवन में यह विदाई समारोह आयोजित किया गया था। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशवासियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि मैंने पूरी क्षमता के साथ अपने कर्तव्यों को निभाया है। साथ ही साथ उन्होंने यह भी कह दिया कि बाबासाहेब अंबेडकर के सपनों का भारत अब बन रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि कई पुरानी स्मृतियां उमड़ रही हैं। उन्होंने पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठने के लिए भी कहा। कोविंद ने कहा कि देश के लिए जरूरी मुद्दों पर काम करना बेहद जरूरी है। रामनाथ कोविंद ने कोरोना महामारी के दौरान भारत के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि देशवासियों के सपने को नई उड़ान मिल रही है।
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निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संसद में बहस और असहमति के अधिकारों का इस्तेमाल करते समय सांसदों को हमेशा गांधीवादी दर्शन का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है। उन्होंने कहा कि मुझे राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए देश के नागरिकों का हमेशा आभारी रहूंगा। इस विदाई समारोह में राज्य सभा के चेयरमैन एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी मौजूद रहे। इनके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी केंद्रीय मंत्री भी इस आयोजन में शामिल हुए। आपको बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। 25 जुलाई को देश की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शपथ लेंगी। रामनाथ कोविंद को एनडीए की ओर से 2017 में राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया था जिसमें उन्होंने जीत हासिल की थी। रामनाथ कोविंद का कार्यकाल कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण रहा। रामनाथ कोविंद के लिए कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक भोज का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित हुए थे। रात्रिभोज में देश के सभी हिस्सों से प्रतिनिधि आए थे, जिसमें कई पद्म पुरस्कार विजेता और आदिवासी नेता शामिल थे।
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मुर्मू ने बृहस्पतिवार को एकतरफा मुकाबले में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराते हुए भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया। मुर्मू (64) को निर्वाचक मंडल सहित सांसदों और विधायकों के मतपत्रों की एक दिन की मतगणना में 64 प्रतिशत से अधिक वैध मत प्राप्त हुए और सिन्हा के खिलाफ उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की। निर्वाचन अधिकारी पी सी मोदी ने 10 घंटे से अधिक समय तक चली मतगणना प्रक्रिया के खत्म होने के बाद मुर्मू को विजेता घोषित किया और कहा कि उन्हें सिन्हा को मिले 3,80,177 वोट के मुकाबले 6,76,803 वोट मिले। वह आजादी के बाद पैदा होने वाली और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की पहली राष्ट्रपति होंगी। वह प्रतिभा पाटिल के बाद राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी महिला होंगी।
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