महाराष्ट्र सरकार की मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना 2.0: पारंपरिक ऊर्जा का एक मजबूत विकल्प

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सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के दौरान कोई दहन नहीं होता है। हमारे देश में उष्ण कटिबंध में, सूर्य का प्रकाश एक प्रचुर स्रोत है। इसलिए, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार ने राज्य के बिजली उत्पादन क्षेत्र में सौर ऊर्जा का एक मजबूत विकल्प स्थापित करने के लिए 'मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना 2.0' को लागू करने का निर्णय लिया है।

महाराष्ट्र सरकार के द्वारा किसानों को लाभ देने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की गई है, जिसमें एक है महाराष्ट्र के किसानो को खेतों की सिंचाई में सुविधा देने के लिए मुख्यमंत्री सौर कृषी पंप योजना 2023. राज्य सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में संभावित परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए 'मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना 2.0' योजना लागू की है, जो सौर ऊर्जा का व्यापक प्रचार है। सौर ऊर्जा एक सस्ती और हरित ऊर्जा है। सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के दौरान कोई दहन नहीं होता है। हमारे देश में उष्ण कटिबंध में, सूर्य का प्रकाश एक प्रचुर स्रोत है। इसलिए, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार ने राज्य के बिजली उत्पादन क्षेत्र में सौर ऊर्जा का एक मजबूत विकल्प स्थापित करने के लिए 'मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना 2.0' को लागू करने का निर्णय लिया है।

 

महाराष्ट्र सरकार इस योजना के माध्यम से वर्ष 2025 तक 7000 मेगावाट बिजली सोलर पावर से पैदा करेंगी। जिसका सीधा लाभ किसानों को होने वाला है। आज के समय में कृषि पंप का उपयोग करने वाले राज्य में 4 मिलियन (40 लाख) से अधिक किसान है। जिसे एमएसकेवीवाई योजना के माध्यम से जो बिजली उत्पन्न होगी उसके कारण किसानों को फसलों को पानी देने हेतु दिन में बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी।

राज्य के किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए सोलर कृषि पंप उपलब्ध कराए जाएं, यह योजना का मुख्य उदेश्य सामने रखकर, किसानों को सौर कृषी पंप प्रदान करने के लिए 95% सब्सिडी देने का सरकार ने आश्वासन दिया है. इसी के साथ पुराने डीजल पंपो को हटा कर सोलर पंप लगाने का काम भी किया जाएगा। अधिकांश फीडर सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। इसलिए कृषि को प्रतिदिन 12 घंटे बिजली आपूर्ति से उद्योगों पर क्रॉससब्सिडी का बोझ कम होगा। 

 

पिछले एक दशक में बिजली क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए हैं। 2017 में मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना नाम की एक महत्वाकांक्षी भविष्योन्मुख योजना शुरू की गई थी। इसमें इस बात पर विचार किया गया कि औद्योगिक उपभोक्ताओं के साथ किसान लागत प्रभावी सौर ऊर्जा से कैसे लाभान्वित हो सकते हैं। योजना के माध्यम से किसानों को दिन में बिजली की आपूर्ति उपलब्ध होगी और यह सिंचाई के काम आएगी। गांवों में विभिन्न सुविधाएं और कार्यालय पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा से संबंधित एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। परियोजना के लिए उपयुक्त भूमि प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

'मिशन 2025'

देश ने 2030 तक 450 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है। आम तौर पर एक राज्य में 7000 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा। बिजली की मांग में महाराष्ट्र सबसे आगे है। राज्य में बिजली पंपों की संख्या 45 लाख है। कुल बिजली खपत में कृषि का योगदान 22 प्रतिशत है।

कृषि क्षेत्र को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए हर साल सरकार बड़ी मात्रा में सब्सिडी देती है। बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए भविष्य में क्रॉस सब्सिडी के माध्यम से कृषि बिजली दरों को सीमित करने की सीमा हो सकती है। इस लिहाज से यह योजना, सभी बिजली उपभोक्ताओं, किसानों और बिजली उत्पादन क्षेत्र के लिए उपयोगी है। इसके अनुसार, दिसंबर 2025 तक 30 प्रतिशत कृषि बिजली आपूर्ति सौर ऊर्जा में लाने का प्रयास है। उपमुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 'मिशन 2025' के माध्यम से मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना को तेजी से और व्यापक रूप से लागू करने का निर्देश दिया है और इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।

योजना में कृषि को दिन के समय विद्युत आपूर्ति के साथ-साथ अनेक प्रोत्साहन सुविधाएं प्रदान की गई हैं। परियोजना हेतु भूमि पट्टे पर देने के इच्छुक कृषकों को रू 1 लाख 25 हजार प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष की दर से पट्टा दिये जाने का प्रावधान है, ऐसी परियोजनायें महावितरण के उपकेन्द्रों के समीप उपलब्ध भूमि में स्थित होंगी। बड़े-बड़े उद्यमियों ने भी सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी दिखाई है। जिन ग्राम पंचायतों ने ऐसी परियोजनाएँ स्थापित की हैं, उन्हें भी पहले तीन वर्षों के लिए 5 लाख रुपये प्रति वर्ष की सब्सिडी दी जाएगी। योजना के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा में आवश्यक कौशल विकसित कर रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

राज्य सरकार इस योजना के लिए पट्टे पर ली गई भूमि के लिए प्रति हेक्टेयर 1.25 लाख रुपये का किराया देगी। योजना 7000 मेगावाट बिजली पैदा करने की है जिसके लिए 28,000 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। इस अभियान में राज्य में 30 हजार करोड़ रुपए के निवेश की उम्मीद है। योजना का क्रियान्वयन न केवल राज्य बल्कि देश के विद्युत उत्पादन क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। 

 

मुख्यमंत्री सौर कृषी वाहिनी योजना की मुख्य बातें

महाराष्ट्र सरकार इस योजना के अंतर्गत कृषि भूमि के आसपास 5 किलोमीटर के क्षेत्र में 2 से 10 मेगावाट कैपेसिटी वाला सोलर पावर प्लांट स्थापित करेगी।

सोलर पावर प्लांट स्थापित करने के लिए कम से कम 3 एकड़ और अधिकतम 50 एकड़ भूमि का चयन किया जाएगा।

सोलर पावर प्लांट स्थापित करने के लिए भूमि का चयन करने में सबसे पहली प्राथमिकता 33/11 KV सबस्टेशन से 5 किलोमीटर के भीतर जो भूमि है उन भूमि मालिकों को दी जाएगी।

इस योजना का सुचारू संचालन करने के लिए महाराष्ट्र सरकार टेंडर जारी करेगी। जिसके माध्यम से कांट्रेक्टर का चयन किया जाएगा।

यदि कोई कॉन्ट्रैक्टर टेंडर करना चाहता है तो वह ई टेंडर पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकता है। रजिस्ट्रेशन के लिए उसे किसी भी तरह की फीस देने की जरूरत नहीं है।

मुख्यमंत्री सोलर कृषि वाहिनी योजना के लाभ एवं विशेषताएं

कृषि पंपिंग के लिए दिन के समय बिजली की उपलब्धता।

बिजली सब्सिडी के बोझ से सिंचाई क्षेत्र को अलग करना।

वाणिज्यिक और औद्योगिक बिजली उपभोक्ताओं पर क्रॉस सब्सिडी का बोझ कम करना।

प्रदूषण कम करने के लिए डीजल पंपों को बदलना। एमएसकेवीवाई योजना महाराष्ट्र के कारण राज्य के किसानों को कृषि सिंचाई हेतु केवल 3 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल सकेगी।

इस योजना के कारण किसानों को रात के बजाय दिन में बिजली की सुनिश्चितता हो सकेंगी।

इस योजना के अंतर्गत पूरे प्रदेश में आगामी 3 वर्षों के भीतर सोलर पावर प्लांट स्थापित किए जाएंगे।

अगर सरकार किसी किसान की भूमि पर सोलर पावर प्लांट स्थापित करती है तो उन्हें किराया भी प्रदान करेंगी।

योजना के संचालन हेतु महाराष्ट्र सरकार 30,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी।

मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना (Solar Agriculture Channel Scheme) के कारण लंबे समय से किसानों की मांग (दिन में बिजली की सुनिश्चितता) को पूरा किया जा सकेगा।

दिन में बिजली उपलब्ध होने के कारण सही समय पर फसलों को पानी मिलने की वजह से किसानों की पैदावार में भी बढ़ोतरी देखी जा सकेगी।

सोलर पावर प्लांट स्थापित करने से कई सारी नौकरी भी उत्पन्न होगी। जिसकी वजह से बेरोजगारी की दर में भी कटौती होगी।

योजना का लाभ उठाने की पात्रता

जिन किसानों के पास कृषि भूमि है और पानी का सुनिश्चित स्रोत है।

उनके पास पारंपरिक बिजली कनेक्शन नहीं होना चाहिए।

5 एकड़ तक कृषि भूमि वाले किसान 3 एचपी पंप के लिए पात्र हैं और 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि वाले किसान 5 एचपी और 7.5 एचपी पंप कनेक्टिविटी के लिए पात्र होंगे।

दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों के किसानों को प्राथमिकता।

वन विभाग की एनओसी प्राप्त न होने के कारण जिन किसानों का विद्युतीकरण नहीं हुआ है.

पानी का स्रोत कुआं या ट्यूबवेल ही होना चाहिए।

 

चयन प्रक्रिया

पानी के सुनिश्चित स्रोत वाले खेत वाले किसान पात्र होंगे। हालांकि, पारंपरिक बिजली कनेक्शन वाले किसानों को इस योजना से सोलर एजी पंप का लाभ नहीं मिलेगा।

क्षेत्र के किसान जो ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत (यानी MSEDCL द्वारा) के माध्यम से विद्युतीकृत नहीं हैं।

दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्र के किसान इस योजना का लाभ उठा पाएंगे। 

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