भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने UN शांति सैनिकों के लिए बजट बढ़ाने का किया आह्वान

Naravane

जनरल नरवणे ने साथ ही उभरती चुनौतियों के मद्देनजर शांति अभियानों के लिए उचित साजो-सामान एवं बेहतर प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

ढाका। भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि वह अपने शांति अभियानों के लिए बजट बढ़ाये। जनरल नरवणे ने साथ ही उभरती चुनौतियों के मद्देनजर शांति अभियानों के लिए उचित साजो-सामान एवं बेहतर प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। बांग्लादेश की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आये जनरल नरवणे ने यहां कई देशों के सैन्य अभ्यास के इतर आयोजित सेना प्रमुखों के एक सम्मेलन में हिस्सा लिया। भारतीय सेना के ‘एडिशनल डायरेक्टरेट ऑफ पब्लिक इन्फार्मेशन’ (एडीजी पीआई) ने ट्वीट किया कि पांच दिवसीय आधिकारिक दौरे पर यहां आये जनरल नरवणे ने सेना प्रमुखों के सम्मेलन में ‘‘वैश्विक संघर्षों की बदलती प्रकृति: संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की भूमिका’’ पर मुख्य संबोधन दिया।

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इसका आयोजन जनरल नरवणे के बांग्लादेशी समकक्ष जनरल अजीज अहमद ने किया। बांग्लादेश रक्षा मंत्रालय के ‘इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) डायरेक्टरेट ने जनरल नरवणे के सम्मेलन में दिये संबोधन के हवाले से कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति गतिविधियों के लिए बजट बढोतरी पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमेन मुख्य अतिथि थे। भारतीय सेना प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए उभरती चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए इसके लिए उचित साजो-सामान और बेहतर प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान भागीदारी के आधार पर चलने चाहिए।

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माली में संयुक्त राष्ट्र के बहुआयामी एकीकृत स्थिरीकरण अभियान बल कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डेनिस गिलेंस्प्रोरी, मध्य अफ्रीकी क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के बहुआयामी एकीकृत स्थिरीकरण अभियान बल के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सिदकी डेनियल ट्रेओर और भूटानी सेना के उप अभियान प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल दोर्जी रिनचेन, आदि सम्मेलन में शामिल हुए। सेमिनार में वरिष्ठ राजनयिकों, सुरक्षा रणनीतिकार और पुलिस के अधिकारी भी शामिल हुए। सेना प्रमुख ने कार्यक्रम के दौरान इसमें हिस्सा लेने वाले देशों के वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य देशों के सैन्य पर्यवेक्षकों के साथ बातचीत भी की। मोमेन ने सम्मेलन में कहा कि हाल के समय में शांति अभियानों के स्वरूप में बदलाव हुआ है और आज ये अभियान शांति निगरानी अभियान से कहीं अधिक हैं। इस सम्मेलन का आयोजन आतंकवाद-निरोधी अभ्यास, शांतिर अग्रसेना (शांति के अग्रदूत)के तहत किया गया था 4 अप्रैल को शुरू हुआ था। इस अभ्यास में रॉयल भूटान आर्मी, श्रीलंकाई सेना और बांग्लादेश की सेना के साथ भारतीय सेना की 30 कर्मियों वाली एक टुकड़ी भाग ले रही है।

यह अभ्यास सोमवार को संपन्न होगा। अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, सऊदी अरब, कुवैत और सिंगापुर के सैन्य पर्यवेक्षक भी अभ्यास में भाग ले रहे हैं। अभ्यास का उद्देश्य प्रक्रियाओं को मजबूत करना और क्षेत्र में मजबूत शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पड़ोसी देशों के बीच अन्तरसक्रियता को बढ़ाना है। इसमें हिस्सा लेने वाले देशों की सेनाओं ने अपने बहुमूल्य अनुभव साझा किए और शांति अभियानों में अपने अभ्यास और प्रक्रियाओं को परिष्कृत किया। जनरल नरवणे अपने बांग्लादेशी समकक्ष जनरल अजीज अहमद के निमंत्रण पर यहां आए हैं। उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब करीब दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी देश की यात्रा की थी और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की थी। वर्ष 2021 में भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संबंधों, पाकिस्तान से बांग्लादेश की मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ और बंगबंधु मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी है।

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