साल की ये यात्रा देशवासियों की, भावनाओं की, अनुभूति की एक यात्रा है ‘मन की बात’

Narendra Modi says Expression of country positive power and public sentiments
[email protected] । Sep 24 2017 3:19PM

‘मन की बात’ से अपने आलोचकों को जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह उनके मन की बात नहीं है बल्कि भारत की सकारात्मक शक्ति, देश के कोने कोने से लोगों की भावनाओं, इच्छाओं, शिकायतों को सामने रखने का एक मंच है जो प्रेरणा देने के साथ ही सरकार में सुधार का वाहक बन रहा है।

नयी दिल्ली। ‘मन की बात’ से अपने आलोचकों को जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह उनके मन की बात नहीं है बल्कि भारत की सकारात्मक शक्ति, देश के कोने कोने से लोगों की भावनाओं, इच्छाओं, शिकायतों को सामने रखने का एक मंच है जो प्रेरणा देने के साथ ही सरकार में सुधार का वाहक बन रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ ‘मन की बात’ ने, एक प्रकार से भारत की जो सकारात्मक शक्ति है, देश के कोने-कोने में जो भावनाएँ भरी पड़ी हैं, इच्छाएँ हैं, अपेक्षाएँ हैं, कहीं-कहीं शिकायत भी है...... एक जन-मन में जो भाव उमड़ते रहते हैं ‘मन की बात’ ने उन सब भावों से मुझे जुड़ने का एक बड़ा अद्भुत अवसर दिया। ’’

आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम के 36वें अध्याय में मोदी ने कहा, ‘‘ मैंने कभी ये नहीं कहा है कि मेरे मन की बात है। ये ‘मन की बात’ देशवासियों के मन से जुड़ी हैं, उनके भाव से जुड़ी हैं, उनकी आशा-अपेक्षाओं से जुड़ी हुई हैं। और जब ‘मन की बात’ में बातें मैं बताता हूँ तो उसे देश के हर कोने से जो लोग मुझे अपनी बातें भेजते हैं, आपको तो शायद मैं बहुत कम कह पाता हूँ लेकिन मुझे तो भरपूर खज़ाना मिल जाता है।’’

उन्होंने कहा कि चाहे ई मेल पर हो, टेलीफोन पर हो, माइ गाव पर हो, नरेन्द्र मोदी एप पर हो, इतनी बातें मेरे तक पहुँचती हैं। ‘‘ अधिकतर तो मुझे प्रेरणा देने वाली होती हैं। बहुत सारी, सरकार में सुधार के लिए होती हैं। कहीं व्यक्तिगत शिकायत भी होती हैं तो कहीं सामूहिक समस्या पर ध्यान आकर्षित किया जाता है। और मैं तो महीने में एक बार आधा घंटा आपका लेता हूँ, लेकिन लोग, तीसों दिन ‘मन की बात’ पर अपनी बातें पहुँचाते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘ उसका परिणाम ये आया है कि सरकार में भी संवेदनशीलता, समाज के दूर-सुदूर कैसी-कैसी शक्तियाँ पड़ी हैं, उस पर उसका ध्यान जाना, ये सहज अनुभव आ रहा है। और इसलिए ‘मन की बात’ की तीन साल की ये यात्रा देशवासियों की, भावनाओं की, अनुभूति की एक यात्रा है। और शायद इतने कम समय में देश के सामान्य मानव के भावों को जानने-समझने का जो मुझे अवसर मिला है और इसके लिए मैं देशवासियों का बहुत आभारी हूँ। ’’ उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ में मैंने हमेशा आचार्य विनोबा भावे की उस बात को याद रखा है। आचार्य विनोबा भावे हमेशा कहते थे ‘अ-सरकारी, असरकारी।

मैंने भी ‘मन की बात’ को, इस देश के जन को केंद्र में रखने का प्रयास किया है। राजनीति के रंग से उसको दूर रखा है। तत्कालीन, जो गर्मी होती है, आक्रोश होता है, उसमें भी बह जाने के बजाय, एक स्थिर मन से, आपके साथ जुड़े रहने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मैं ज़रूर मानता हूँ, अब तीन साल के बाद सामाजिक क्षेत्र के विशेषज्ञ, विश्वविद्यालय, शोध अध्येता, मीडिया विशेषज्ञ ज़रूर इसका विश्लेषण करेंगे। इसके मजबूत पक्ष और कमियों को हर चीज़ को उजागर करेंगे। और मुझे विश्वास है कि ये विचार-विमर्श भविष्य ‘मन की बात’ के लिए भी अधिक उपयोगी होगा, उसमें एक नयी चेतना, नयी ऊर्जा मिलेगी। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी समेत कई विपक्षी दल और विपक्षी नेता प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की आलोचना करते रहे हैं और सरकार पर तंज कसते हुए काम की बात करने पर जोर दिया है।

मोदी ने कहा कि मैंने जब एक बार ‘मन की बात’ में कहा था कि हमें भोजन करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि जितनी ज़रूरत है उतना ही भोजन लें, हम उसको बर्बाद न करें। लेकिन उसके बाद मैंने देखा कि देश के हर कोने से मुझे इतनी चिट्ठियाँ आयी, अनेक सामाजिक संगठन, अनेक नवयुवक पहले से ही इस काम को कर रहे हैं। जो अन्न थाली में छोड़ दिया जाता है उसको इकट्ठा करके, उसका सदुपयोग कैसे हो इसमें काम करने वाले इतने लोग मेरे इतने ध्यान में आये, मेरे मन को इतना बड़ा संतोष हुआ, इतना आनंद हुआ कि मैं बता नहीं सकता। प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में महाराष्ट्र के एक सेवानिवृत शिक्षक चन्द्रकान्त कुलकर्णी की पहल का जिक्र किया जिसमें उन्होंने पाँच हज़ार रुपया का, अग्रिम तिथि का चेक देकर के, स्वच्छता के लिये दान दिया था।

उन्होंने हरियाण के सरपंच की सेल्फी विद डाटर की पहल को दोहराया तथा इन्क्रेडिबल इंडिया के बारे में विभिन्न स्थलों की तस्वीरें भेजने की अपील और उस पर अपने अनुभवों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘ छोटी-सी घटना कितना बड़ा आन्दोलन खड़ा कर देती है, ये ‘मन की बात’ में मैंने अनुभव किया है। आज मन कर गया, क्योंकि जब सोच रहा था तीन साल हो गये, तो पिछले तीन साल की कई घटनायें मेरे मन-मंदिर में छा गयीं।’’

मोदी ने कहा कि देश सही दिशा में जाने के लिए हर पल अग्रसर है। देश का हर नागरिक दूसरे की भलाई के लिए, समाज की अच्छाई के लिए, देश की प्रगति के लिए, कुछ-न-कुछ करना चाहता है ये मेरे तीन साल के ‘मन की बात’ के अभियान में, मैंने देशवासियों से जाना है, समझा है, सीखा है। किसी भी देश के लिए ये सबसे बड़ी पूँजी होती है, एक बहुत बड़ी ताक़त होती है। मैं ह्रदय से देशवासियों को नमन करता हूँ।

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